[1] जरा सोचो जरा से सरसराहट पर निगाह, चौखट पर नज़र , ऊपर से कहते हो मुझे किसी का इंतज़ार नहीं | [2] जरा सोचो ‘आस में उसकी , तनहाई भी गुनगुनाने लगती है , यादों की खुशबू बेचैन करके सही जीने नहीं देती | [3] जरा सोचो मेरे ‘प्यार के दर्द ‘ की एक तो ही ‘ दवा ‘ …
‘तन्हाई में ‘आस’ भी ‘गुनगुनाने’ लगती है | किसी का ‘दिल न तोड़ो’ जनाब |
