[1] जरा सोचो ‘जब दिल’ किसी को ‘सच्चा’ होने की ‘गवाही’ देता है, ‘निश्चित ही ‘वह’ कभी आपका ‘अहितकारी’ नहीं होगा | [2] जरा सोचो हम ‘शिकायत’ नहीं करते ‘शुक्रिया’ अदा करने लगे हैं आजकल, तेरी ‘ दिलदारी ‘ देखकर , ‘ दिल में दस्तक ‘ देने लगे हैं हम’ ! [2] जरा सोचो हर पल ‘पलकों’ को भिगोना,’धुंधला’ बना …
“मेहनत” से ‘पैर में छाले ‘ जरूर पड़ेंगे , पर’ किस्मत ‘ जरूर चमकेगी “
