[1] ‘ना ‘फूलों’ की भांति ‘खिलते’ हो, ना ‘खुशबू’ की तरह ‘बिखरते” हो, ‘घिसट कर’ जी रहे हो आजकल, ‘ कारोना की दहशत’ भयानक है’ ! [2] ‘बिना किए ‘तंदुरुस्ती’ खराब थी, ‘कामवाली’ ने ‘काम करना’ सिखा दिया, ‘हाथ जोड़ना, नमस्ते करना, बिना रुके ‘करोना’ ही ‘सिखाता’ चला गया’ ! [3] कोरोना का कहर ‘हर गाड़ी पर’ लिखा होता था, …
‘कोरोना संक्रमण’ से बचो , घर में कुछ दिन रहो , सब कुछ ठीक हो जाएगा |
