भारत हमारी जन्म-भूमि है , कर्म-भूमि है | इसकी सभ्यता , संस्कृति , तथा परम्पराओं की पूरे विश्व मैं प्रशंसा की जाती है तथा पूरा विश्व उसका अनुसरण कर रहा है
जिन्हें अपने देश से प्यार है वह स्वहित त्याग कर राष्ट्र हित को ही सर्वोपरि मानते हैं और जब निजी हित से राष्ट्र हित ऊपर हो जाता है तभी राष्ट्र के निर्माण और उसका भविष्य सँवारने के स्वप्नों का स्रजन आरंभ हो जाता है | मैं भी अपने राष्ट्र को लेकर नित नए सपनों को मस्तिष्क मैं बुनता रहता हूँ और इसी श्रंखला को बीजारोपन की संज्ञा से भी नवाज़ सकते हैं |
हमारे देश मैं किस प्रकार की व्यवस्था हो , कानून कैसे हों ,कितनी जल्दी उनका अनुशरण हो , किस हद तक पुरानी परम्पराओं और विश्वासों का सम्मान हो तथा देश की आधुनिक समस्यों से कैसे निबटा जाए ? मैं बखूबी जानता हूँ कि राष्ट्र का पुनर्निर्माण बहुत ही जटिल प्रक्रिया का प्रारूप है तथा देश के हर प्राणी को अहम भाव त्याग कर देश हित के लिए कुछ आहुति देने का प्राण लेना उत्तम है | सकारात्मक सोच से इन्सान सदा असम्भव को सम्भव बनाता आया है |
मेरा सदा यह प्रयास रहेगा कि देश के विभिन्न पहलुओं को धीरे-धीरे आप सबके सामने प्रस्तुत करता रहूँ |’ मेरी भाषा का मुख्य प्रारूप हिन्दी ही है ‘ ‘जो अपने देश ‘ कि ‘ मात्र-भाषा है ‘ | मेरी उत्कंठा है कि मैं ‘ छंद ‘ , ‘दोहावली’ और ‘ लेखों ‘ के माध्यम से ‘आपकी सेवा करता रहूँ’ | यह भी सही है कि मैं निश्चित रूप से ‘ अंगेजी भाषा का विरोधी भी नहीं हूँ ‘ | ‘अँग्रेजी ( English } भाषा के माध्यम से’ भी समयानुसार ‘ कुछ न कुछ आपके सामने प्रस्तुत करता रहूँगा ‘ |
मैं बखूबी जानता हूँ कि “ 21 वीं सदी “ केवल युवा पीढ़ी के माध्यम से ही “ हिंदुस्तान के नाम “ लिखी जाएगी |” सौ सुनार कि एक लोहार की “ वाली कहावत मेरे तजुर्बे की लेखन-विधा को सही चरितार्थ कर जाए , इसके लिए ‘आपका ज्ञान ‘, ‘छमा दान छमता’ ‘मुझे युवा बनाए रक्खेगी ‘ |
जय भारत | बंदे – मातरम |