Home ज़रा सोचो ” हमारा देश ” समझने की जरूरत है “|

” हमारा देश ” समझने की जरूरत है “|

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हमारा   देश’
‘देश  में  बढ़ती  जनसंख्या, निजी  करण,बेरोजगारी , महंगाई  और  अराजकता,
‘इन  सब  पर  ‘पारदर्शी’  और ‘ठोस  उपाय’  करने  की  सख्त  जरूरत  है ,
‘राजनीति  के  लिए  राजनीति  करना  गलत  है,’ मानवता’  ही ‘असली  धर्म’  है,
‘गलत  नीतियां, कार्य  और  संविधान  में  संशोधन  न  करना,महंगा  पड़  जाएगा,
‘गलत  प्रदर्शन ,तोड़फोड़ ,हर  काम  की  चीर  फाड़, बहुत  महंगी  पड़ती  है  देश  को,
‘मिलजुल  कर  सही  दिशा  में  बढ़  कर  ही, सुखद  परिणाम  की  संभावना  है,
‘यहां  कोई  किसी  के  लिए  नहीं  रोता ,सिर्फ  अपनी  ही  खिचड़ी  पकाते  हैं  सभी,
‘देशहित’  की  सोचना  गुनाह, और  जहालत  का  पर्याय, हो  गया  है  देश  में  अब, !

[2]

‘हमारा   देश’
‘आपका  विद्रोह , आक्रोश , गुस्सा ,’ सार्वजनिक  संपत्ति’  पर  ही  फूटता  है,
‘अपने दरवाजे, खिड़की,शीशे,चकनाचूर करते,अपने  घर को लूटते ,तो  लगता,
‘वह  जननी ,कपटी ,कुटिल, कुबुद्धि, अभागी  है,जिसका  बेटा  ‘देशद्रोही’  है,
‘ना  उचित  संस्कार  दिए, ना  सीख, ना  स्नेह, नफरत  का  जहर  नसों  में  भर  दिया,
‘ सीएए , आरएनसी  का  विरोध , जो  देश  हित  में  है , मन  कराह  उठता  है ,
‘रेळ  पटरी  उखड़ना ,बस  फूंकना ,शीशे  तोड़ना, आग  लगाना ,खुला  ‘देशद्रोह’  है,
‘अपने  घर  में  आग  लगा  दी  अपने  चिराग  से , किसी  का  कुछ  नहीं  बिगड़ा’ !

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