सरकार का रोना है कि सवा सौ करोड़ लोगों में सिर्फ 3.60 करोड़ लोग ही आय कर देते हैं..!
इससे लोगों के दिमाग में पहला संदेश यही जाता है कि सारे देशवासी टैक्स चोर है..!
लेकिन सरकार बड़ी ही सफाई से यह छिपा जाती है कि ,
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– सवा सौ करोड़ में 43- करोड़ लोग तो 18 साल से कम आयु के हैं जो अमूमन कमाने की स्थिति तक पहुंचे ही नहीं होते !
बचे 82- करोड़ भारत वासी
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– इनमें से 75% अर्थात 61.5 करोड़ लोग किसान हैं जिनको सरकार ने स्वयं ही कर मुक्त किया हुआ है !
बचे 20.5 करोड़ भारत वासी
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– इनमें से लगभग 5.5 करोड़ लोग भूमिहीन हैं और BPL { गरीबी रेखा से नीचे } में आते हैं ।
बचे 15 करोड़ भारतवासी , जो न किसान हैं न BPL{ गरीबी रेखा से नीचे } में!
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– इनमें से वरिष्ठ नागरिक , घरेलू महिलाओं , टैक्सेबल आमदनी से कम आयवालों , 18 साल से अधिक उम्र के बेरोजगारों की संख्या लगभग 11.40 करोड़ निकाल दें ।
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कुल जमा कमाने वाले बचे 3.60 करोड़ !
इतने लोग टैक्स दे ही रहे हैं । फिर चोर चोर का शोर क्यों ??
(यहां ‘किसानों’ का समीकरण जानना भी बहुत दिलचस्प है। इन *’किसानों’ में कई ऐसे हैं जो लक्जरी कार , बंगला रखते हैं , लेकिन कर मुक्त हैं }
लगभग सभी नेता , पार्षद , विधायक , सांसद , मंत्री ,मुख्यमंत्री और उनके संरक्षित सेठ , फिल्म स्टार तक ‘किसान बने हुए हैं ,* सिर्फ इसलिये कि अन्य स्रोतों से हुई आय को किसान गिरी से कमाया बता कर उस पर टैक्स देने से बच सकें !)
3.60 करोड़ लोगों के पैसे से देश चल रहा है , नेताओं की देशी विदेशी तफरीहें होती है , संसद की कैंटीन में कर मुक्त वेतन लेने वाले माननीयों द्वारा सब्सिडी लेकर भिखारियों के रेट में फाइव स्टार भोजन का आनंद लिया जाता है !
नोट:- सही कर {tax } देने की राह पर लोग चलने लगें , इसके लिए सही कर प्रणाली देश को देनी होगी | आमूल-चूल कर प्रणाली मे परिवर्तन जरूरी हैं | देश की डोर जिन सांसदों और नीतिकारों पर है उन्हें अविलंब कानून पास कराने चाहिए |