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‘संसार’ में ‘ जिस-जिस का’ ‘आश्रय’ लिया जाएगा ,
‘जीवन नैया’ ‘बीच मझदार’ ‘छोड़ कर चला जाएगा’ ,
‘आपकी’ ‘अंतिम मंज़िल’ ‘परमात्मा ‘ है – ‘उसी से विमुख’ ,
‘कैसा जीवन’ ‘जी रहे हो’ ? ‘क्या कभी’ ‘सोचा नहीं’ ?

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