‘चापलूसी का जहर ‘, ‘अमृत’ समझ कर पी गए , तो बेड़ा गर्क है ।
‘चापलूसी’ कभी न करें , और ना ही दूसरों को करने का मौका दें ,
‘चापलूसी’ के बवंडर मे अनेकों महल , तिनके की तरह ढह गए ,
खुद को ऐसे सवारो , देखने वाले नत मस्तक हो कर झुक पड़े |
‘चापलूसी का जहर ‘, ‘अमृत’ समझ कर पी गए , तो बेड़ा गर्क है ।
‘चापलूसी’ कभी न करें , और ना ही दूसरों को करने का मौका दें ,
‘चापलूसी’ के बवंडर मे अनेकों महल , तिनके की तरह ढह गए ,
खुद को ऐसे सवारो , देखने वाले नत मस्तक हो कर झुक पड़े |
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