जरा सोचो
1 पाँच रुपये वाली बियर की बोतल 80 रुपये की हो गयी , किसी ने कभी दारू का ठेका नहीं फूंका |
2 एक रुपये वाली कोककोला 12 रुपये की हो गयी , कभी अमेरिका का पुतला नहीं फूंका , कभी कोई आवाज़ नहीं उठी |
3 5 रुपये वाला मैक डोनाल्ड बर्गर 80 रुपये का हो गया , इस बात पर किसी ने रेल नहीं रोकी |
4 5 रुपये वाला चिप्स पैकेट 30 रुपये का हो गया , किसी जगह हा-हल्ला सुनने में नहीं आया |
5 5 रुपये वाला सिनेमा टिकिट 300 रुपये का हो गया , कभी किसी ने कोई सिनेमा हाल नहीं फूंका |
6 चीनी 2/4 रुपये तेज़ हो गयी तो यह ब्रेकिंग –न्यूज़ बन गयी |
7 10 रुपये का रेल टिकेट अगर 12 रुपये हो गया तो सभी छाती पीटने लगे जो रेल टिकिट शायद महीने में एक या दो बार खरीदना पड़ता होगा | जो रेलवे की कमाई होती है वह आपकी सुविधाओं के लिए सरकार खर्च करती है |
अक्सर नेता जनता की भलाई की नहीं सोचते , सिर्फ अपनी पार्टी और खुद को चमकाने का प्रयास भर करते हैं और इसे देश-भक्ति का नाम देते हैं | जो भी सरकार स्थापित होती है उसके हर काम में रोड़ा अटकाना अपना धर्म मान कर चलते है |
देश अब धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा है , सभी सुविधाएं मुहय्या करने का प्रयास ज़ारी है | थोड़ा सब्र करने की ज़रूरत है | अच्छे दिन भी आएंगे |