‘आज राक्षसी प्रवत्ति’ ,’ दानवी प्रवत्ति’ , ‘संहारक प्रवत्ति’ ,’नज़र आती है चहुं ओर’ ,
‘इन विनाशकरी प्रवत्ति को’ ‘ कोई धर्म’ या ‘कोई मजहब’ ‘कभी नहीं सिखाता’ ,
‘देश रहेगा’ तो ‘मस्जिद से अजान भी आती रहेगी’ ‘ जब तलाक जिएगा तू ‘,
‘देश रहेगा ‘ तो ‘चर्च से आपको बेल [घंटी] भी बजती सुनाई देती रहेगी ‘ ,
‘देश कायम रहेगा ‘ तो ‘गुरुद्वारे से आपको गुरू वाणी से स्वर सुनते रहेंगे’ ,
‘देश शांत रहेगा ‘ तो मंदिरों से रामायण , गीता की पंक्तियाँ भी सुनाई देंगी ‘,
‘यदि हम विनाशक प्रवत्ति में आशक्त रहे’ ,’ देशद्रोह को मन से नहीं छोड़ा ‘,
‘देश को खंडित होने में देर नहीं होगी ‘,’ हे प्रभु ‘ ! ‘ हमें सदबुद्धि से नवाज़ दो ‘|