Home धर्म हे प्रभु ! ऐसी प्यास जगा दो, कुकर्मों से बचता रहूँ !

हे प्रभु ! ऐसी प्यास जगा दो, कुकर्मों से बचता रहूँ !

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हे  प्रभु  !  ‘बाहर  मस्तक   न  झुके’ , ‘अंदर  का  अहंकार   टूट   जाए’ ,

‘बाहर  कहीं  हाथ  न  फैलाना  पड़े’ , ‘अंदर  का  संकल्प   उदय  हो  जाए’ ,

‘मन   में   शांति   हो ‘ , ‘धर्म-अधर्म   का  ज्ञान   अपना  प्रकाश   फैलाये ‘,

‘कुकर्मों   से   सदा   ही   बचता   रहूँ’  , ‘ऐसी    प्यास  जगा   दो  मन   में ‘  |

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