Home जीवन शैली हेरफेर की दुनियाँ है अब —

हेरफेर की दुनियाँ है अब —

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‘कम  खाना’ , ‘कम  बोलना’ ,’अपने  काम   मैं  लगे  रहना’ ,’ भूल  गए  हैं  हम ‘,

‘माता-पिता’  और ‘बुज़ुर्गों’  की  ‘इज्ज़त  नहीं’,’उन्हें  नकारने  का  चलन  चल पड़ा’ ,

‘मैं  जो  कुछ  कर  रहा  हूँ  ठीक  है’  ‘बाकी  सब  गलत’ , ‘अब आज  की  सोच  है’  ,

‘हर  बात  भेदभाव  भरी  होती है’ ,’बहुर्मुखी  बनकर  ज़ीना’  ‘दूर  की  कौड़ी  है  अब’  |

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