Home ज़रा सोचो ‘हमें अपनी ‘सोच में सुधार’ करने की जरूरत है तभी ‘जी’ पाएंगे ‘ |

‘हमें अपनी ‘सोच में सुधार’ करने की जरूरत है तभी ‘जी’ पाएंगे ‘ |

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[1]

‘एक  आदमी  भीड़  को  उड़ा  दे  तो  भटका  नौजवान,
‘भीड़’ आदमी  को  मारे  तो  माब- लीचिंग, 
‘गजब  सोच  है  दुनियाँ  की  अब,
‘सोच  को  कैसे  सुधारें , मंथन  करें|

[2]

‘चुनाव  आते  ही  नकली  भाई-चारा,
‘जिंदा  हो  जाता  है ‘,
‘हमें  मिलजुल  कर  ही  रहने  दो ,
‘इसमें  ही  भलाई  है ‘|

[3]

‘उतार-चढ़ाव’और ‘मुसीबतों’ से सभी  को  दो-चार होना  पड़ता  है,
‘फिर  भी  ‘बेतकुल्लफ़  हंसी ‘  नव-जीवन  का  संचार  करती  है ‘|

[4]

‘उत्तम  स्वास्थ  हेतु ‘आचार-विचार ”व्यवहार’, आहार  अनिवार्य  हैं ‘,
‘वायु,जल,निद्रा ,हँसना,खुशहाल  होना  भी ,जिंदगी  के  सोपान  हैं ‘|

[5]

‘स्थिति  कैसी  भी  हो ,
‘घबराना’ समस्या  का  हल  नहीं ‘,
‘संयत  हो  कर  जूझना ,
‘निदान  का  रास्ता’ दिखा  देगा ‘|

[6]

‘सियासत  की  छांव  में  मत  जियो’,
‘वहाँ  नफरत  बहती  है ‘,
‘हर  कोई  दांव  खेलता  है’ ,
‘अमन  की  हवा  काफ़ुर  है ‘|

[7]

‘सारी  भौतिक  सुविधाएं’  इकट्ठी  कर  ली’,
‘फिर  भी  तसल्ली  नहीं,’
‘कुछ  और’ कहना  नहीं  छोड़ते’ ,
‘अंत  समय  तो  खाली  हाथ  जाओगे’|

[8]

‘पूरे  साल  लड़ते -झगड़ते  रहे’,
‘सुलह  सफाई  भी  कुछ  करते  रहे’,
‘राम  घर  आने  की  जब  सुनी’,
‘सबसे  गले  मिल  कर  सबने  ‘दीवाली’  मना ली’|

[9]

‘कुछ  खुशियाँ  समेत  ली’,’ कुछ  गम  भुला  दिये ‘,
दिल से  कुछ नफरत  भुला दी’, ‘दीवाली हो  गयी अपनी “|

[10]

‘झूठे  दिलासे  देते  रहे’ ,
‘एक बार  प्यार  से  मना  कर  देते, ‘
‘अच्छी  सोच  और  अच्छे  विचार’,
‘मन’  को  हल्का  बनाए  रखते  हैं ‘|

 

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