{ एक मित्र के सौजन्य से }
- कर्म क्या है ?….🤔*
*एक कहानी सुनाता हूँ ।*
*एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था । अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा – ” मुझे नहीं पता क्यूँ , पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ ।*
*यह सुनकर मंत्री को बहुत दु:ख हुआ । लेकिन जब तक वह राजा से कोई कारण पूछता , तब तक राजा आगे बढ़ गया । *
*अगले दिन , मंत्री उस दुकानदार से मिलने के लिए एक साधारण नागरिक के वेष में उसकी दुकान पर जा पहुँचा । उसने दुकानदार से ऐसे ही पूछ लिया कि उसका व्यापार कैसा चल रहा है ? दुकानदार चंदन की लकड़ी बेचता था । उसने बहुत दुखी होकर बताया कि मुश्किल से ही उसे कोई ग्राहक मिलता है । लोग उसकी दुकान पर आते हैं , चंदन को सूँघते हैं और चले जाते हैं । वे चंदन कि गुणवत्ता की प्रशंसा भी करते हैं , पर ख़रीदते कुछ नहीं । अब उसकी आशा केवल इस बात पर टिकी है कि राजा जल्दी ही मर जाएगा । उसकी अन्त्येष्टि के लिए बड़ी मात्रा में चंदन की लकड़ी खरीदी जाएगी । वह आसपास अकेला चंदन की लकड़ी का दुकानदार था , इसलिए उसे पक्का विश्वास था कि राजा के मरने पर उसके दिन बदलेंगे । *
*जब मंत्री महल में लौटा तो वह सीधा दरबार में गया जहाँ राजा बैठा हुआ था और सूचना दी कि चंदन की लकड़ी के दुकानदार ने उसे एक भेंट भेजी है । राजा को आश्चर्य हुआ । जब उसने बंडल को खोला तो उसमें सुनहरे रंग के श्रेष्ठ चंदन की लकड़ी और उसकी सुगंध को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ । प्रसन्न होकर उसने चंदन के व्यापारी के लिए कुछ सोने के सिक्के भिजवा दिये । राजा को यह सोच कर अपने हृदय में बहुत खेद हुआ कि उसे दुकानदार को मारने का अवांछित विचार आया था ।*
*अब मंत्री की समझ में आ गया कि राजा उसकी दुकान के सामने क्यों रुका था , और क्यों दुकानदार को मार डालने की इच्छा व्यक्त की थी । शायद दुकानदार के नकारात्मक विचारों की तरंगों ने राजा पर वैसा प्रभाव डाला था , जिसने उसके बदले में दुकानदार के प्रति अपने अन्दर उसी तरह के नकारात्मक विचारों का अनुभव किया था ।*
*जब दुकानदार को राजा से सोने के सिक्के प्राप्त हुए , तो वह भी आश्चर्य चकित हो गया । वह राजा के गुण गाने लगा जिसने सोने के सिक्के भेजकर उसे ग़रीबी के अभिशाप से बचा लिया था । कुछ समय बाद उसे अपने उन कलुषित विचारों की याद आयी जो वह राजा के प्रति सोचा करता था । उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए ऐसे नकारात्मक विचार करने पर बहुत पश्चात्ताप हुआ ।*
*अर्थात*
*यदि हम दूसरे व्यक्तियों के प्रति अच्छे और दयालु विचार रखेंगे , तो वे सकारात्मक विचार हमारे पास अनुकूल रूप में ही लौटेंगे । लेकिन यदि हम बुरे विचारों को पालेंगे , तो वे विचार हमारे पास उसी रूप में लौटेंगे ।*
*आया समझ अब….🤗कर्म क्या है…?*
*” हमारे शब्द , हमारे कार्य , हमारी भावनायें , हमारी गतिविधियाँ ” आदि*
*मतलब हमारे विचार ही हमारे कर्म हैं ।*
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