‘आज तो देश मैं ‘ ‘ हिन्दू शब्द को ‘ ही ‘सांप्रदायिक समझा जाता है ‘ ,
‘राष्ट्रियता पर’ ‘ प्रश्न-चिन्ह लगाते हैं’, ‘वो जो राष्ट्र को’ ‘सर्वोपरि नहीं मानते’ ,
‘स्वदेशी सदभाव से’ ‘उन्हे कोई सरोकार नहीं’ , ‘बस गुर्राते हैं सदा ‘,
‘संकीर्ण सांप्रदायिकता से ग्रस्त हैं’ ,’खामखा बिल-बिलाना स्वभाव है उनका ‘,
‘राष्ट्रवाद की सटीक परिभाषा बताओ ‘ ‘ देशवालों को ‘ ‘ मेरे कर्णधारों ‘ ,
‘असहिष्णुता का ‘ ‘प्रसार -प्रचार करने वाले’ ‘ तत्व बढ़ते जा रहे हैं देश मैं ‘|