Home कविताएं “हमारे देश मे ऐसा भी होता है “, मेरे विचार !

“हमारे देश मे ऐसा भी होता है “, मेरे विचार !

3 second read
0
0
926
[1]

मेरा विचार
“गिरती   हुई   मानवता   को   उभारने   की   लगन  “सुखद  वातावरण   स्थापित   कर  के   इंसान   को

सांस   देने   में   पूर्णतः   सक्षम   है  “|

[2]

“आना-जाना   जीवन   के   अंग   हैं |  जो  आया  है   वह   जाएगा   जरूर   |

फिर  चिन्ता  किस  बात  की  | सदा  कुछ  नया  करने  का   प्रयास   हमें

सुंदर  बना  देगा “|

[3]

हमारे देश में —
‘देश  में  ख्याति  प्राप्त  लोगों  के  स्कैंडल  रोज़  खुलते  हैं ‘,
‘कुछ  शोर-शराबे  के  बाद शांत, फिर  धाक के तीन  पात’ ,
‘कोर्ट मे कोई केस दर्ज नहीं होता ,सब  कुछ ठंडे  बस्ते  में’ ,
‘सरकार फेल , कानून  पत्थर,सारी जनता  बेवकूफ  बनी’ ,
‘चोर – चोर  मौसरे   भाई   और   हमाम   में   सभी   नंगे ‘,
‘ देश  क्या  है ? किसे कहते हैं ?शायद  भूल  गए  हैं  हम ‘|

[4]

हमारे देश में —
‘लगता है राष्ट्र  विरोधी  तत्वों  का  खुला  बाज़ार  है  हमारा  देश ‘,
‘आजकल सरकारी तंत्र अक्सर बेईमानी की हाँ में हाँ मिलाता है ,
‘हर शुरुआत पर गंदी राजनीति , शर्म – लिहाज  बिलकुल  ज़ीरो ,
‘दुःख होता है जब-भारत माता की जय बोलने पर बबाल होता है’ ,
‘जो राजनीति  के उलझे  तारों कों सुलझाएगा ,सिकंदर कहाएगा’ ,
‘ अच्छे  नेताओं  का  बेग  ठंडा  और  अधमरा नज़र आता है अब’ |

[5]

‘अगर  तू  मननशील  प्राणी  है  तो  मानव  कहलाएगा ‘,
‘मानव  की  वास्तविक  पहचान  उसकी  विचारधारा है ‘,
‘विपरीत  धारा  मनुष्य  को  अधोगति  में  ले  जाती  है ‘,
‘उसका  सर्वांगीण  विकास  का  लक्ष्य  पिछड़ जाता  है ‘|

[6]

‘यदि  तू  खुद  को  पहचान  गया  तो  विद्वानों  की  श्रेणी  में  आ  जाएगा ‘,
‘यदि  छमा  दान  करना  सीख  लिया ,दानवीर  तुझसा  कोई  नहीं  होगा ‘,
‘यदि तू अहंकारी है,जोश में  होंश खो  बैठता है , तुझसा  दरिद्र  नहीं  कोई ‘,
‘यदि  सबकी  बुराई  करने  का  ठेका  लिया  लूने , बच  कर  चलें  तुझसे ‘ |

[7]

‘यादों  का  झरोखा  न  जाने  कैसी  आँधी  चला  गया  ,मन  बोझल  हो  गया ”,
‘काश  !  आज  में ‘ जी  पाता’ और  इन  बेमतलब  से  सवालों  से  बचा  रहता ‘|

[8]

‘न हाथ छोड़ेंगे न साथ छोड़ेंगे तेरा’ ,’मिलकर जीवन बिताएँगे ,’
‘पैरों  में  कितने  भी  छाले  पड़ें ‘,’हर  शै  को  मात  देते  जाएंगे ‘|

[9]

‘ज़रा-ज़रा  सी  बात  पर  अकड़  जाते  हो’ ,’कैसे  जी  पाओगे  बता ,?
‘गुस्सा  छोड़  कर  देख  तो सही’ ,’गुलाब  की  तरह  खिल  जाएगा  ‘ |

[10]

 

Load More Related Articles
Load More By Tarachand Kansal
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…