हमारे देश में —
‘घोटाला’ भी हमारे देश में ‘ सोने की चिड़िया ‘ हो गया है,
‘ अक्सर लोग इसे करने को , बेचैन पाए जाते हैं यहां ,
‘घोटालों के नए-नए करिश्मे, अखबार की शोभा बढ़ाते हैं,
‘सिवा हमारे देश के ‘घोटालों’ का इतना जखीरा,कहीं नहीं मिलता ‘ !
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हमारे देश में —
‘पहले आजादी के आंदोलन में ,’ कर्तव्य भावना’ ऊंचाई पर थी ,
‘आजादी के बाद भयंकर गिरावट आती चली गई, लोग बदल गए,
‘आज की पीढ़ी को – संविधान की आत्मा से जोड़ने की जरूरत है,
‘ अधिकार’ और ‘कर्तव्य ‘ में तालमेल बैठाना, आज की चुनौती है , |
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‘ हमारे देश में’
‘देश में 100 करोड़ मोबाइल है , कार्य करने की आधुनिक तकनीक है ,
‘नोटबंदी जैसे कदम , राजनीति से ऊपर , देश हित में फैसला था,
‘सर्वेक्षणों से स्पष्ट है ‘भ्रष्टाचार में’, ‘भारत’ अग्रिम पंक्ति में शुमार होता है,
‘उज्जवल भविष्य हेतु ‘सरकार का साथ दो’,सबके सहयोग की जरूरत है’
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‘हमारे देश में
‘समाज’ सुधार चाहता है , और मैं ‘ देश में आमूल -चूल परिवर्तन ,
‘बिना न्यायाधीशों की कार्यप्रणाली, और ‘कानून सुधारें ,कुछ नहीं होगा,
‘अधिकांश देशवासी , ‘ बेईमानी के दलदल ‘में बुरी तरह फंसे लगते हैं,
‘माननीय संसद ‘ यदि चाहे तो , हमारे देश का नक्शा ही बदल जाए’ !
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