[1]
‘हर काम में समय लगता है ,जैसे बच्चा बड़ा होने में,
‘ बिल्डिंग तैयार करने में , मोटे को पतला बनाने में,
‘परंतु सोचना तो शुरू करो ,काम तो शुरू करो ,आगे तो बड़ो,
‘अकेली सरकार क्या क्या करें , हर नागरिक भी कुछ तो करें ‘ !
[2]
हमारे देश में |
‘तुष्टीकरण की नीतियों से बचो, राष्ट्रीय स्वाभिमान को जल्दी जगाओ,
‘दिशा हीनता इतनी है कि ‘अवसरवादी राजनीति’ में डूब गए हैं सभी,
‘ अपनी आत्मा भी बेच डाली है हमने , सिलसिला बदस्तूर चालू है,
‘देश के गद्दारों ! जागो ,उलट-पुलट हो गया तो सिर पकड़ कर रोएंगे सारे !
[3]
हमारे देश में |
‘हर वाणी में सिर्फ मिठास का एहसास हो,
‘जबान से कटु शब्द कभी निकले ही नहीं,
‘हमारे देश में ऐसी हवा जब देने लग जाएगी,
‘देश के अभ्युदय का प्रारंभ हो गया समझो’ !
[4]
हमारे देश में |
‘आज सत्य , अहिंसा , संयम की देश को निर्विवाद जरूरत है,
‘महावीर ,बुद्ध की वाणी, जन कल्याणकारी हैं, जीवन में अपनाओ,
‘कलयुगी रावण’ घर घर में अलख जगाते हैं, ‘अंतस ‘सबका काला है,
‘विश्वास का राडार’ बहुत कमजोर है , कौन कब क्या कर बैठे पता नहीं’ !
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हमारे देश में
आदरणीय प्रधानमंत्री जी से निवेदन |
‘अफसरशाही की दकियानूसी के चलते, कोई क्रांतिकारी परिवर्तन नहीं होता,
‘सरकार जानती है, प्रबल इच्छा शक्ति भी है, फिर भी कोई हल नहीं इसका,
‘हल है भी तो ‘नौकरशाही’ , ‘किसी भी नए विचार को’ अपनाने नहीं देती,
‘निजी क्षेत्र में भी ‘ अद्भुत कार्य’ करने वालों की पूरी फेहरिस्त मौजूद है,
‘अलग -अलग क्षेत्रों के महारथी बुलाओ , अनुभव के आधार पर समाधान ढूंढो,
‘पूर्ण क्षमता का प्रयोग करो , लक्ष्य भी पूरा होगा ,पारदर्शिता भी आएगी’ !
[6]
हमारे देश में
‘जो कार्य ‘ पिछले 70 वर्षों में नहीं हुए , अब आगे बढ़े हैं,
‘पिछले 6 वर्षों में देश, ‘कुंभकरण की नींद’ से जागा लगता है,
‘इस सरकार को कुछ और करने का अवसर मिलना ही चाहिए,
‘स्वच्छ आलोचना, सुधारों का आना और संचालन, अत्यंत जरूरी है’ !
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‘समस्याएं सभी के पास हैं , हळ वो सोचें जो सर्वोपयोगी हो,
‘जल्दबाजी में सोचा गया हल , कभी भी बुद्धिमानी नहीं होती , !
‘जल्दबाजी में सोचा गया हल , कभी भी बुद्धिमानी नहीं होती , !