[1]
हमारे देश में |
‘हमारे कई नेता, लोग, साधु -संत ‘ भ्रष्टाचार ‘ की सजा भुगत रहे हैं,
‘नए घोटाले, नहीं चालें रोज खुलती है, अखबारी पन्ने रोज खबरें सुनाते हैं ,
‘लगता है देश में संस्कारों का ‘दाह संस्कार’ हो गया है आजकल,
‘तुरंत कानूनी कार्यवाही , फिर तुरंत सजा , देश की असली जरूरत है ,!
[2]
हमारे देश में |
‘पहले देश – पीछे शेष ‘ का ‘ मूल – मंत्र ‘ देशवासी भूल चुके हैं,
‘वैचारिक दिवाला’ निकाल कर, उल जलूल बयान दे रहे हैं सभी,
‘देश विरोधी नारे’ ‘देश प्रेमियों का अपमान’ सब कुछ होता है यहां,
‘नारेबाजी बंद करो, देश के लिए कुछ करो , गद्दारी की भी सीमा है !
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प्रधानमंत्री जी से निवेदन ?
‘पहले काले धन की चक्की’ व ‘मोटी रिश्वत के टॉनिक’ से अर्थव्यवस्था बढ़ती थी ,
‘अब प्रशासन को ‘जनोमुखी व पारदर्शी’ बनाने की मुहिम चल तो पड़ी है ,
‘अफसरशाही – अहंकारवश , सच को सुनने और बदलने को तैयार नहीं लगती,
‘कागजी कार्यवाही आज भी होती है’ सुझाव बेतुके और अव्यवहारिक होते हैं,
‘सही नीति’ ताकतवर लोगों को रास नहीं आती , ‘बड़ी लूट’ की गुंजाइश नहीं बचती,
‘यही होता रहा तो , कई ‘ अच्छे प्रयास’ , ‘जमीन तक पहुंची ही नहीं पाएंगे,
‘सबके सामने -‘ समय , लक्ष्य , गुणवत्ता ‘, सुनिश्चित करके सबसे हिसाब मांगो ,
‘कोताही करने पर ‘कड़ी सजा’, और ‘अच्छे काम पर ‘शाबाशी’ का प्रावधान करो !
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हमारे देश में
‘शॉर्टकट का रास्ता’ बहुत खतरनाक और दुखदाई होता है,
‘प्राइवेट या सरकारी सभी , सब कुछ जल्दी पाने का प्रयास करते हैं,
‘इसी वजह से अनैतिक तरीके , भ्रष्टाचार की सीमा से पार हो गए,
‘ अब चारों तरफ आचरण भ्रष्ट , व्यवस्था भ्रष्ट , देखते हैं देश में ‘ !
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पाकिस्तान के लिए
‘अभी जख्मों का दर्द ताजा है, जो आपने दिए थे बहुत पहले,
‘आज भी नस्तर पर नस्तर चुभाये जा रहे हो, बेखौफ ,बेहिसाब,
‘इतनी बेदर्दी क्यों पाले हो अपने जहां में , कौन उकसा आ रहा है आपको,
‘क्या हम ही इतने नीच , पापी , क्रूर , हैं , नहीं झेल पाते हो हमें,
‘इंसानियत से लबरेज हैं दोनों तरफ हवा, फिर यह हैवानियत किसलिए ?
‘इतनी बर्बरता, बड़बोलापन ,नफरत, वह भी पड़ोसी से , अच्छी नहीं होती’ !
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हमारे देश में
‘प्रगति और समृद्धि’ के लिए ‘उग्रवाद’ का पंख कतरना जरूरी है,
‘जहां चाह वहां राह है’, इस कहावत को चरितार्थ कर के दिखाइए,
‘ऑपरेशन सद्भावना में, शिक्षा, सशक्तिकरण ,स्वास्थ्य पर ध्यान दो,
‘हौसला बढ़ाओ, रहन-सहन का स्तर उठाओ, मेहनत रंग लाएगी |
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प्रधानमंत्री जी से विनय
‘देश हित में अपनी राय खुल कर दें, ऐसे मजबूत तंत्र की जरूरत है,
‘हर आदमी चाहता है आप वह सब करें , जो अब तक कोई नहीं कर पाया,
‘ ऐसे कार्यक्रम बनाओ जो नागरिकों की सोच, और प्राथमिकताएं ,बदल डालें,
‘देश के अनुभव सिद्ध लोगों की सलाह, कम खर्चे में ठोस काम कर जाएगी’ !