Home ज़रा सोचो ” हमारे देश में “

” हमारे देश में “

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[1]
देशवासियों से अपील !
‘देश रहेगा तो मस्जिद से अजान भी आती रहेगी ‘,
‘देश रहेगा तो चर्च से भी बेल बजती दिखाई देगी ‘,
‘देश रहेगा तो गुरुद्वारे से गुरुवाणी सुनाई देती रहेगी ,’
‘देश रहेगा तो मंदिरों में घड़ियाल भी बजेंगे ही ‘,
‘देश रहेगा तो हमारी किलकारियाँ भी सुनाई देंगी ‘,
‘देश हितैषी”समदर्शी राजा’ ‘देश की सख्त जरूरत है ‘|
[2]
‘देशवासियों ! बहुत सो चुके करवट बदलो, पतन से बचो ‘,
‘अन्यायी,अत्याचारी सभी देश को निगलने को तैयार हैं’ ,
‘आप स्वम अपने भाग्य-विधाता,निर्माता व जाग्रत प्राणी हो ,’
‘अज्ञानता,आलस्य और दुर्बलता को उखाड़ फेंकों,आगे बढ़ो ‘|
[3]
हमारा देश
‘आंदोलन के जलजले’ ने सभी से कुछ ना कुछ छीन लिया है’,
‘इतनी उग्रता के पीछे किसका हाथ है, कारण क्या है, बताएं तो कोई,
‘जान माल की रक्षा का हक, पक्ष-विपक्ष सभी का समान है,
‘मजा तो तब है, ‘अदालत’ दूध का दूध अलग करके दिखा दे सबको, !
[4]

 हमारा देश

‘संसद से सड़क’ तक एक दूसरे पर आक्षेप करते हैं नेता सभी,
‘ऐसी भाषण’ जो आग में घी का काम करें, दिन-रात देते हैं,
‘समाज’ आशा करता है ‘उचित -अनुचित’ को तय करेंगे वे सभी,
‘राष्ट्रप्रेम’ की दीक्षा देंगे ,’अत्याचार’ को जड़ से मिटा देंगे,
‘वह जाति, प्रांत ,संप्रदायवाद ,से देश को मुक्त कराएंगे,
‘देशद्रोही’ को ‘उचित दंड’ मिऴेगा तभी मानव के कल्याण के मार्ग खुलेंगे’ !
[5]

 हमारे देश में

‘देश को तोड़ने, और ‘बर्बादी के नारे’ लगाना आजादी नहीं, अराजकता है ,
‘सरकार को इन जयचंदों से, कठोरता से पेश आने की जरूरत है,
‘बड़ी भीड़ इकट्ठी करने के लिए ,कानूनी जरूरतें पूरी करना जरूरी बनाओ,
‘राष्ट्रद्रोह की भाषा’ का प्रयोग करने वालों को, रियायत देने की जरूरत नहीं, !
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