[1]
‘बेहिसाब खरीद बेच दुःखदायी है’ ,’जीने नहीं देगी तुझे ,’
‘बस जितना जरूरी हो खरीदते चलो’,’मूल मंत्र ही मानो उसे ‘|
[2]
मेरा देश महान –
‘राजनीति और जहालत’ पर्यायवाची हैं आजकल ,’
‘निर्लज्जता से चिथड़े फाड़ रक्खे हैं सबने यहाँ ,
‘राजनीति में किसी का कोई कुछ नहीं लगता ‘,
‘देश-भक्ति खूंटी पर तंगी दिखाई देती है भाई ‘|
[3]
मेरा देश महान —
‘लोकतंत्र में सरकार मालिक नहीं होती,जनता की सेवादार होती है ,’
‘मजदूरी के बतौर करों से मिले पैसों से मेहनताना दिया जाता है ,’
‘बयानबाजों की फौज से लोगों की समस्याओं का हल नहीं होता ,’
‘जमीन पर उतर कर तकलीफ़ों को दूर करने की ताबीज़ को अंजाम दो ‘|
[4]
‘इतिहास बदलने की ज़िद से मुल्क का मिजाज नहीं बदला जाता ,’
‘सांसद बदलने को तैयार न हों तो पूरी सियासत को ही बदल डालो ,’
‘पूरा मुल्क -बेईमानी , धोखाधड़ी ,हेराफेरी की चासनी में लिपटा हुआ है’ ,
‘कानून की धज्जियां उड़ाने में हर कोई मसकूर है,’देशभक्ति’ अंतेर्ध्यान है ‘|
[5]
हमारा देश महान —-
‘सरकारी कर्मचारी,अधिकारी मंत्री, जनता,सबकी बुद्धि भ्रष्ट दिखाई देती है ,’
‘सभी को संरक्षण है फिर भी शिकंजा ढीला है,कानून पूरा काम नहीं करता’ ,
”सदा जिनके कंधों पर बंदूक चलती है , छियत्तर छेद दिखाई देते है वहाँ’ ,
‘बेईमानी पकड़ते ही हाथ-पैर तोड़ने की सज़ा का कानून तुरंत लागू करो ‘|