[1]
हमारे देश में (ज्ञान का सदुपयोग)
‘जो नामचीन लोग, कभी लालच में सत्ता के चक्कर नहीं लगाते,
‘कृपया उन्हें ध्यान से सुनो,निश्चित ही ‘समस्या’ का स्थाई हल मिलेगा,
‘ जनता की दौलत का दुरुपयोग रुकेगा , ‘ तिरंगा ‘ पूरा लहराएगा,
‘ समाज के हित में ठोस काम होगा, ‘ देश ‘ दुर्गंध से बच जाएगा !
[2]
हमारे देश में
‘आज देश को ‘आरक्षण’ की नहीं , कुछ करके खाने वालों की जरूरत है,
‘अपना आत्मविश्वास जगाओ , असली ‘जरूरतमंदों’ की रोटी मत छीनो ,
‘मेरिट की कुर्बानी’ चिंता का सबब है , ‘गुणवत्ता’ बहुत प्रभावित होती है,
‘मैरिट दबाना’ गुस्सा दिला सकता है , भूचाल ला सकता है देश में |
[3]
हमारे देश में
‘पहले देश के ‘विकास और निर्माण ‘ को गति देने वाले नेता,
‘हाशिए पर डाल दिए गए , ‘जी हजूरी’ की मंडली आगे बढ़ी,
‘व्यक्ति पूजा’ की पराकाष्ठा देखी , आंखें मूंदकर समर्थन भी देखा ,
‘इसका खामियाजा ‘ समाज ने भुगता,’देश’ रसातल में जा घुसा !
[4]
‘ हमारे देश में
‘बदलती दुनिया को, भारत की आवाज को गंभीरता से लेना चाहिए,
‘ समानता और विरोध ‘ के माहौल में दोनों ही बेहद जरूरी हैं ,
‘चौकन्नी राजनीति- देश में पसरती नीरसता को जागरूक रखती है,
‘पैनी नजर से कानून की कीमत, अपराधियों को एहसास करानी चाहिए’ !
[5]
‘गुजरे जमाने की सरकारों का कमाल, सबको कच्छाधारी बनाया , हाथ में रुमाल,
‘खुद सोने की अटारी में आराम करते हैं, जनता गई भाड़ में, देखो उनका यह भूचाल’ !
‘खुद सोने की अटारी में आराम करते हैं, जनता गई भाड़ में, देखो उनका यह भूचाल’ !
[6]
हमारे देश में
‘घोटाले ,बेईमानी ,गद्दारी, कब तक साथ निभाएगी ?
‘खुदा के बंदों ! संभल जाओ, कुछ तो करके खाओ,
‘या रब ! न वो समझे हैं न समझेंगे मेरी बात कभी,
‘सब की टाटं पर उल्लू लगता है,अंजाम से अनजान है’ !