[1]
‘भूतकाल को भूलें , भविष्य की चिंता बिना , वर्तमान को भोगें ‘,
‘शांत-प्रशांत रह कर जीवन यापन ही ,’जीवन की सर्वश्रेष्ठ कला है ‘|
[2]
‘हर छेत्र का प्राणी आपाधापी की दलदल में धंसा सा लगता है’,
‘देश-भक्ति और ‘कर्म-शक्ति’रसातल में है’,’पूरी मसक्कत की जरूरत है’|
[3]
‘जो देश के लिए समर्पित नहीं ‘,
‘गद्दारों की श्रेणी में रक्खो उन्हें’,
‘हंटर भयंकर पड़ने चाहिए’,
‘मुआफी की दरख्वास्त भी निरस्त हो’|
[4]
‘कोई ऐसा छेत्र नहीं मिलता जो,
‘घूसख़ोरी की गिरफ्त में न हो ‘,
‘हर विभाग में चौगुना मांगने लगे’ ,
‘क्या गजब प्रशासन है ‘|
[5]
‘घटिया राजनैतिक सोच ने देश के हर प्राणी को बेईमान बना डाला ‘,
‘एक जाँबाज ने बीड़ा उठाया है ‘, ‘ देश की गंदगी साफ करने का ‘|
[6]
‘हमारी जड़ों में बेईमानी भरी है’ ,
‘पिछले इतिहास ने हमें ये सिखाया है ‘,
‘हर कानून में छेद है’,’समयानुसार
कानून बदलने ही जरूरत है’|
[7]
‘जब मन में पावनता ,नम्रता और स्नेह घर बना लेते हैं ‘,
‘फिर उस घर का वातावरण’ ,’स्वर्गमयी हो गया समझो ‘|
[8]
‘जब इंसान शोहरत ,हुकूमत हासिल करने को सफल जीवन मान लेता है ‘,
‘आत्मा का कल्याण ,’ मोक्ष ‘,’ मुक्ति की भावना ‘ गौण ही रह जाती है ‘|
[9]
‘न किसी पर जुल्म ढ़ाओ’ ,
‘न किसी का तिरस्कार करो ‘,
‘उठते- बैठते , सोते- जागते ‘,
‘तमाम फर्जों की अदायगी करते रहो ‘|
[10]
‘महा-मानव बना देगा तुझे ‘,
‘मन में ‘अहम- भाव’ और ‘कर्ता -भाव’
‘पैदा होना ‘कलंक’ ही मानो ‘|
‘तो रास्ता मिलना सुनिश्चित है ‘,
‘जो बिना विचारे आगे बढ़ा’ ,
‘मुंह की खाई है उसने ‘|