Home ज़रा सोचो “हमारे देश की विसंगतियाँ ” जरा सोचिए !

“हमारे देश की विसंगतियाँ ” जरा सोचिए !

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{1}

अयोध्या  के  कायाकल्प  का  संकल्प  कोई  नहीं   करता”,
” हर नेता ‘ “अयोध्या  पर अपनी रोटी सेकता नज़र आता है ‘,
“जनता  की  आधारभूत  सुविधाओं  का  नितांत  अभाव   है “,
“पहले शहर की जरूरतें पूरी करो””राम-कार्ड बाद में चलाना” |

{2}

“राम – मंदिर  का  फंडा ” ,”राजनीति  का  अखाड़ा  नज़र  आता   है “,
“आस्था  नाम  की  चीज  नहीं “, “गजब  का  गोरख  धंधा लगता  है “, 
“अनेक अखाड़े” “अपना  हक़  हाँकते  हैं” “मुनाफे  का धंधा  है उनका “,
“राम की गरिमा का कचूमर निकालने में’ ‘अव्वल नज़र आते हैं सभी’ |

{3}

“जाति’, ‘मजहब’,’समुदाय’, ‘भाषा का घालमेल’, ‘राजनीति बन गया है अब ‘,
‘कट्टरता”संकीर्णता”निर्दयता’से ‘सारा वातावरण’,’काँपने लगा है आजकल’ , 
‘वैमनस्य  के  बीज  बोये  जा  रहे  हैं ‘,’ देश  में  अनेक विसंगतियाँ  मौजूद हैं ‘,
‘राष्ट्र की मजबूती  की  लहर पूर्णतया ‘ ,’ कोमा  में  पहुँचती  जा  रही  है  रोज़’ |

{4}

“भारत   के  लोग   विध्वंस   की  राजनीति   को  ठोकर   मार   देते   हैं” ,
“इतनी  दूरदर्शिता  तो  है  उनमें” “,भारत को भारत ही बनाए रख सकें” ,
“धर्म  के पाखंड को समाप्त करो” “,विकास  की  सीधी  चढ़ो”‘,आगे बढ़ो” ,
“राम-रहीम  के  प्यारों “!”मिल कर काम करो””समभाव में जियो सभी” 

 

 

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