[1]
‘जब मेरे इरादे नेक हैं फिर’ ,
‘खिलाफत किसलिए ‘?
‘अपने घर का चिराग समझ ‘,
‘बुझाने की कोशिश न कर ‘|
[2]
‘सतही रिस्तों को तलासना है ‘,
तो गहराई में उतरना सीख ‘,
‘सच्चे मोती’ सीपी में छिपे रहते हैं’ ,
‘किनारों से किनारा कर ‘|
[3]
‘जिन्हें मैं गैर समझता था’ ,’उन्होने अपना बना डाला मुझे ‘,
‘गजब तब हुआ ‘जिन्हें अपना समझता था’,गैर ही निकले’|
[4]
‘ दिल में उतरने की कला जानता हूँ’,
‘जरा संभल जाना ,’
‘जितना कतराओगे मुझसे ‘,
‘उतने ही टकराए जाएंगे ‘|
[5]
‘कोई कितने भी जख्म दे ‘,
‘मैं उन्हें जख्म मानता ही नहीं’ ,
‘अपने ही जख्म देते हैं’ ,
‘पलटवार उसे अपना बनने नहीं देगा ‘|
[6]
‘प्यार कर गया या प्यार दे गया’,’कुछ भी समझ में नहीं आता’,
‘एक टकटकी लगाए रहते हैं”शायद फिर मुलाक़ात हो जाए उनसे’ |
[7]
‘सब्र का बांध हमें बिखरने नहीं देता ‘,
‘सच्चाई’ किसी की नज़रों से गिरने नहीं देती ‘|
[8]
‘तुम हमें कुछ लिखते रहो ‘,’ मैं भी कहता रहूँ तुमको ,’
‘न मिलें तब भी बुदबुदाहट तो चलती ही रहनी चाहिए ‘|
[9]
मेरे मन का भाव :-
‘मैं खाली हाथ आया था’,’सबको खुश करके ही जाऊंगा’,
‘हमदर्दी और स्नेह का सागर लुटाना नहीं भूलूँगा कभी ‘|
[10]
‘हमारे सामने दूसरों की बुराई करने में’ ,
‘किंचित भी नहीं डरते’,
‘हमारी तारीफ क्या खाक करोगे’ ,
‘तुम तो बुराई का मुखौटा हो ‘|