एक बार पचास लोगों का ग्रुप किसी सेमीनार में हिस्सा ले रहा था ।
सेमीनार शुरू हुए अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि स्पीकर अचानक
ही रुका और सभी पार्टिसिपेंट्स को गुब्बारे देते हुए बोला , ” आप
सभी को गुब्बारे पर इस मार्कर से अपना नाम लिखना है । ” सभी ने ऐसा ही किया ।
अब गुब्बारों को एक दुसरे कमरे में रख दिया गया ।
स्पीकर ने अब सभी को एक साथ कमरे में जाकर पांच मिनट के अंदर अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने के लिए कहा ।
सारे पार्टिसिपेंट्स तेजी से रूम में घुसे और पागलों की तरह अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने लगे । पर इस अफरा – तफरी में किसी को भी अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिल पा रहा था…
5 पांच मिनट बाद सभी को बाहर बुला लिया गया ।
स्पीकर बोला , ” अरे ! क्या हुआ , आप सभी खाली हाथ क्यों हैं ? क्या किसी को अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिला ? ” ”
😂😂 नहीं ! हमने बहुत ढूंढा पर हमेशा किसी और के नाम का ही गुब्बारा हाथ आया… ”, एक पार्टिसिपेंट कुछ मायूस होते हुए बोला ।
🏉“कोई बात नहीं , आप लोग एक बार फिर कमरे में जाइये , पर इस बार जिसे जो भी गुब्बारा मिले उसे अपने हाथ में ले और उस व्यक्ति का नाम पुकारे जिसका नाम उस पर लिखा हुआ है । “, स्पीकर ने निर्दश दिया ।
🏉एक बार फिर सभी पार्टिसिपेंट्स कमरे में गए , पर इस बार सब शांत थे , और कमरे में किसी तरह की अफरा -तफरी नहीं मची हुई थी। सभी ने एक दुसरे को उनके नाम के गुब्बारे दिए और तीन मिनट में ही बाहर निकले आये ।
स्पीकर ने गम्भीर होते हुए कहा ,
☝☝” बिलकुल यही चीज हमारे जीवन में भी हो रही है । हर कोई अपने लिए ही जी रहा है , उसे इससे कोई मतलब नहीं कि वह किस तरह औरों की मदद कर सकता है , वह तो बस पागलों की तरह अपनी ही खुशियां ढूंढ रहा है , पर बहुत ढूंढने के बाद भी उसे कुछ नहीं मिलता ,
👉👉 दोस्तों हमारी ख़ुशी दूसरों की ख़ुशी में छिपी हुई है ।
👌👉 जब तुम औरों को उनकी खुशियां देना सीख जाओगे
👌👉तो अपने आप ही तुम्हे तुम्हारी खुशियां मिल जाएँगी ।
✌👌 👇
और यही मानव- जीवन का उद्देश्य |