[1]
हमारा देश —-
‘सरकारी अनेकों योजनाओं में कितना काम हुआ है और कितना बकाया है ‘?
‘क्या रुकावटें आती हैं और उनका हल करने का क्या प्रारूप हो सकता है ,’?
‘सभी विरोधी दल उन पर ध्यान नहीं देते , जड़ खोदने में लगे रहते हैं ‘,
‘उनका अपना पेट ही नहीं भरता कभी ,देश-हित की भावना एकदम शून्य है ‘|
[2]
हमारे देश में —
‘ भ्रष्ट तत्वों ने पूरे बैंकिंग तंत्र को नकारा बना दिया है ‘,
‘ सब कड़े – कानून धरे के धरे रह गए , ‘ लाचार हो गए ‘,
‘ सब घोटालों को पिरोया जाए तो महा- ग्रंथ रच जाएगा ‘,
‘कितनी जांच , कितनी समितियां बनीं , सज़ा किसी को नहीं ‘,
‘कितने साफ बच गए , सिस्टम बेहद कमजोर नज़र आया ‘,
‘पूरा देश भर्ष्ट-तंत्र का शिकार है,देशभक्ति जबान पर नहीं आती’ |
[3]
“हमारा देश” —
”देश में युद्ध, बाढ़ ,अकाल , भूकम्प , हर स्थिति में संघ आगे आया है ‘,
‘अज्ञानी लोग , अधूरे ज्ञान को समाज में बाँट कर भ्रम पैदा कर रहे हैं ,’
‘ विरोधी पक्ष , सिर्फ राजनीति करते हैं ‘ , पूर्वाग्रह से सदा ग्रस्त रहते हैं ,’
‘ देश-हित के ज्वलंत प्रश्नों के हल का प्रारूप पेश ही नहीं करते कभी ‘|