[1]
हमारा देश :-
‘ तिरंगा सिर्फ ‘ रेशम का टुकड़ा नहीं,’ जिसके लिए हम लड़ते-मरते हैं’ ,
‘यह देश की पहचान है’ ,’ हमारा सम्मान है’,’हमारे गौरव की गाथा है’ ,
‘यह वो ‘तिरंगा’ है जिसके लिए सैनिक’,’अपनी जान की बाज़ी लगते है’ ,
‘तिरंगे’ की ‘शान-बान’, ‘राष्ट्र -गान पर’ ‘सारा देश नत -मस्तक है सदा ‘ |
[2]
हमारा देश :-
‘ राजद्रोह ‘ और ‘ देशद्रोह ‘ में ‘ जमीन – आसमान का अंतर है भाई ‘ ,
‘सरकार का विरोध”राजद्रोह ‘ तो ‘देश-विखंडन’ की बात ‘देश-द्रोह है’ |
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“हमारा देश “:-
‘हमारी एकता’ , ‘अखंडता’ को ‘ तोड़ने का प्रयास’ कर रहे हैं कुछ लोग’ ,
‘इस नाज़ुक दौड़ में’ ‘ सिर्फ नफरत और निराशा से’ ‘क्या मिलेगा देश को’ ?
‘राजनैतिक प्रतिद्वेंदी’ ‘ सिर्फ कीचड़ उछालते हैं ”बस और कुछ भी नहीं’ ,
‘काली कमाई का कटोरा’ ‘ निडर हो अब ‘,’ घर-घर की शोभा बढाता है ” |
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“”हमारा देश”” :-
“कड़ी मेहनत’,’लगन से’ ‘ जनता के दिलों में’ ‘रोल- माडल बन कर उभर’ ,
‘लोगों का दर्द’ ‘ बाँट’,’अपनी संवाद-शैली सुधार ‘ ,’ सब के दिलों में उतर ‘,
‘आपसी बढ़ती खाई को पाटने में लग ‘, ‘ सब के जख्म सीना सीख ‘ ,
‘प्रांत’ ,’ भाषा’, ‘जाति’ ‘जैसे जलते सवालों को ‘, ‘प्यार की आग में तपा ‘ |
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“आज राजनीतिज्ञ-अहं केन्द्रित’ ‘ मतलब परस्त’ ‘,दिशा-विहीन , अविश्वसनीय ‘,
‘किसी को कुछ नहीं समझते’ , ‘एक-दूसरे की लाश पर रोटी सेंकते हैं सभी ;,
‘ कानूनी व्यवस्था’ ‘अस्त- व्यस्त ‘ , ‘ जनता घुट- घुट कर मरने को मजबूर ‘,
‘ऐ प्रभु ‘ !’ तू सब कुछ देखता है’ ‘ फिर भी खामोश’,’ हमें – बख्श दे दरिंदों से ‘|