हमारे देश में गरीब ज्यादा गरीब और अमीर ज्यादा अमीर होते जा रहे हैं और इस असमानता का कोई अंत नज़र नहीं आ रहा है | हम जानते है कि सरकार ने अनेकों उपाय सुझाए व कानून भी बनाए हैं लेकिन हकीकत यह है कि प्रभावशाली मंडली उन्हें अमलीजामा पहनाने ही नहीं देती और कानून कि धड़ल्ले से खिल्ली उड़ा दी जाती है | सरकारी मशीनरी के साथ मिलकर बड़े लंबरदार ऐसी चौकड़ बिछाते हैं ताकि उनके ऊपर कोई आंच आने ही नहीं पाती | मन में आए भावों को आपके सामने पेश कर रहा हूँ , शायद देश का कुछ भला हो जाए :-
1 सरकारी मशीनरी मानसिक रूप से बीमार है , लालच में जल्दी आ जाते हैं | हाँ , कुछ ही प्रतिशत पूर्णतया देश के लिए वफादारी दिखा पाते हैं | कानून है परंतु अनुकरण में बेहद ढील ढिखाई देती है | कानून सबके लिए बना है फिर सरकारी व्यक्तियों को कोई न कोई रास्ता बना कर बचा लिया जाता है , ऐसा क्यों ? सबसे पहले इस उलझनभरी समस्या का स्थायी हल आज देश कि नितांत आवश्यकता है |
2 सरकारी स्कूलों व प्राइवेट स्कूलों में समान सुविधाएं होनी चाहिए , समान फीस हो , मेरिट के हिसाब से ही दाखला हो , मैनेजमेंट कोटा समाप्त हो , नौकरी देने में कोई भेदभाव न रक्खा जाए ,हर बच्चे को शिक्षित होना आवश्यक बनाया जाए |
3 यदि कोई बेरोजगार है तो उसकी योग्यता के आधार पर काम दिलाने कि व्यवस्था की जाए और ऐसा कानून पास हो जिसके अन्तरगत कोई व्यक्ति काम करने से इंकार ही ना कर सके |
4 छोटे-छोटे कार्य जो कम पूंजी में लग सकते हैं तथा कुछ गरीब आदमी व महिलाएं मिल कर भागीदार बनकर कर सकते हों , उनको करने को प्रोत्साहिक किया जाए और कानून ऐसा बनाया जाए ताकि उन्हें जो भी कार्य दिया जाए , उसे पूरा करना ही पड़े | जो भी माल बने , मानकों पर गुणवत्ता में सही उतरे , यह भी सुनिश्चित किया जाए | यदि उस काम को करने के लिए कोई विशेष ट्रेनिंग की ज़रूरत हो तो उसकी भी व्यवस्था हो |
5 नौकरी पेशा करके जीवन चलाने वाले भाइयों को नौकर न समझा जाए बल्कि कार्य में भागीदार माना जाए | उन्हें सम्मान से देखा जाए और दुकान या कारख़ाना जहां भी वो काम करता है , उसको खाली नौकरी के रुपयों के अलावा भी कुछ भागीदारी दी जाए चाहे वह किसी रूप में भी हो जिसका हिसाब साल के अन्त में नफा-नुकसान का चिट्ठा बनाने के बाद सुनिश्चित किया जाए | मजदूर को यह अहसास होना चाहिए कि वह यहाँ सिर्फ नौकर नहीं मालिक भी है और काम बढ़िया चलेगा और मुनाफा बढ़ेगा तो उसे भी याद रक्खा जाएगा | इससे वह कामचोरी नहीं करेगा और अपनी समर्थता के अनुसार काम के प्रति वफादार रहेगा |
6 जो कुटीर उद्योग द्वारा एक बार कोई भी काम सरकार के अथवा प्राइवेट साधनों के माध्यम से शुरू किया जाए उसको बड़े स्तर पर करने कि इजाजत न दी जाए ताकि कुटीर उद्योग समाप्त होने के कगार पर न आ पाये |
7 कोई भी नया काम जैसे फ़ैक्टरी लगाना , मकान बनाना , सड़क , रेल ,वायु सेवा विस्तार या अन्य कोई छोटा कार्य करेगा तो उसे नौकरी के अलावा भी कुछ और भी मिलेगा , यह कानूनी रूप से सुनिश्चित किया जाए |
8 साठ वर्ष के पश्चात सभी रिटायर कर दिये जाते है | ऐसे मामलों में यदि कोई व्यक्ति स्वस्थ हो , कुछ काम करने कि इच्छा हो , चाहे वह सरकारी या प्राइवेट फ़र्म से हों , उनकी योग्यता के अनुसार दोबारा कार्य पर लगाने का कानून भी बने ताकि उनके जीवन के तजुर्बे का अपने देश को पूरा फायदा मिल सके और बच्चों पर आश्रित न रहना पड़े |
9 आरक्षण शब्द को देश कि डिक्सनरी से बाहर निकाल दिया जाए |इसने देश को सिवाय हानिके , कुछ नहीं दिया | सिर्फ योग्यता ही आधार माना जाए |
10 छोटे किसान भाइयों की पैदा की गयी फसल –सरकार खरीदना सुनिश्चित करे | जैसे सब्जी , फल ,आदि सफल बिक्री केन्द्रों के माध्यम से तथा हर प्रकार की बड़ी फसल देश की भंडारण छमता बढ़ा कर सहायता की जाए ताकि कोई किसान भाई साहूकारों के चंगुल में न फंसे |
11 किसी को भी सीमित दायरे में माल भंडारण की इजाजत हो | इससे सामान हर देशवासी को सदा मिलता ही रहे |
12 एक सीमित दायरे मे ही दौलत जोड़ने की इजाजत हो | कुछ भी चीज लिमिट से बाहर नहीं जोड़ी जानी चाहिए | ऐसा करने पर सख्त कानून का प्रावधान हो |
13 भाषा -द्वेष , प्रांत-भेदभाव , जाति -भेदभाव , सिफ़ारिश , अमीरी-गरीबी का भेदभाव देश मे पूर्णतया निषिद्ध हो |
–क्रमशः —