Home कोट्स Spirituality Quotes हमसे मत ‘उलझो’, ‘पिंघल’ जाओगे, ‘पत्थर दिल’ को ‘मोम’ बनाने की ‘तरकीब’ जानते हैं |

हमसे मत ‘उलझो’, ‘पिंघल’ जाओगे, ‘पत्थर दिल’ को ‘मोम’ बनाने की ‘तरकीब’ जानते हैं |

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[1]

जरा सोचो
‘ मुझसे ‘ मत  उलझो , मिलते  ही  ‘ पिंघल ‘  जाओगे,
हम  ‘पत्थर दिल’ को  ‘मोम’ बनाने  की ‘तरकीब’  जानते  हैं !

[2]

जरा सोचो
‘ हदों ‘  में  रहकर  ‘बेतकुल्फी’  का  ‘आनंद’  ही  कुछ  और  है,
सभी  के ‘एहसास’- ‘खूबसूरती  के  मानदंड’  बनाए  रखते  हैं !

[3]

जरा सोचो
‘कमर’  बांध  कर  आगे  बढ़ोगे, तो  ‘प्रभु’  भी  साथ  दे  देंगे,

‘निठल्लापन’  बड़ा  ‘अभागा ‘  है, हर  कोई  ‘पीछा’ छुडाता  है !

[4]

जरा सोचो
मनुष्य  को  ‘ आशाएं ‘ ‘ मरने ‘  नहीं  देती,
‘इच्छाएं’ ‘जीने’ नहीं  देती ! गजब  इस्तीफाक !

[5]

जरा सोचो
‘  शिकायतें ‘  करने  की ‘ आदत ‘  है, ‘ शुक्रिया ‘  किसी  का  नहीं  करते,
जालिम ! जितना ‘जखीरा’ तुम्हारे  पास  है, अनेकों ‘तरसते’  हैं उसके  लिए !

[6]

मेरी प्रार्थना
“हे  परमात्मा ! कृपा  करना, मेरे  हाथों  से  हर  प्राणी  का  ‘उपकार’  होता  रहे , ‘नम्रता  का  आवरण’  और

‘स्नेह  की  भाषा’  का  सदुपयोग  करता  रहूं  !  किसी  के  काम  आता  रहूं  !”

[7]

जरा सोचो
‘मुश्किलों’  के  पड़ाव  आएंगे  फिर  भी,’मानसिक  बदलाव’ जरूरी  है,

‘ कुमति ‘  बीच  में  ‘ डुबो ‘  देगी , ‘ सुमति ‘  ऊपर  ‘ उभार ‘  लाएगी  !

[8]

जरा सोचो
‘अपनेपन’ का ‘दिखावा’ करने  से  बेहतर  है ‘नफरत’  से  नवाज  दो  उनको,
एहसास  रहेगा ,  ‘ नफरती ‘  से  बच  कर  चलने  में  भलाई  है  !

[9]

जरा सोचो
ऐ  फिजाओं ! मेरे  दिल  को ‘मचलने’  दो, ‘मस्ती’  में  रहने  दो,
बमुश्किल  ‘ मेहरबा ‘  हुए  हैं  वो  हम  पर, पूरा ‘आनंद’ लेने  दो !

[10]

जरा सोचो
‘रिश्तों’  को  ‘चाहे -अनचाहे’  सभी  निभाते  हैं,
‘अपनापन’ कहां  पर  है ? इसकी ‘तलाश’ जारी  है !

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