बुढ़ापे की परेशानियों से बचाने के लिए दवा से ज्यादा जरूरी है उचित पोषण यानि सही भोजन जो पच जाए और शरीर द्वारा भलीभाँति सोखा जा सके उम्र के हिसाब से पोशाक तथा पाचक हो |
वे इस उम्र मे कम खाते हैं तो कम मात्र में ही पोषक भोजन दें |
कमजोर पाचन , अपच ,थकान की शिकायत हो तो भोजन 5-7 बार में बाँट कर खाना बेहतर है |नीचे लिखी बातों के अनुसार यदि खान-पान की व्यवस्था कर दी जाए तो बुजुर्ग अपने बच्चों की हर बात का ख्याल रखते है :-
- सदा प्रोसेस्ड , बोतलबंद , पैकेट , तीन बंद बाजारू खानों से बचे |
- ऐसी चीजें जिसमें पोटेशियम खूब हों , जैसे जीरा , मेथी , नारियल पानी जैसी चीजें दें |
- आटे में दही या मट्ठा मिला कर गूँथे , रोटी नरम और पौष्टिक होगी |
- सरसों के तेल का प्रयोग करें , यह कम कोलेस्ट्राल बनाता है |
- सवेरे के समय ब्रोकली , गाजर, गोभी , चुकंदर , खीरे और मूली के लच्छे , उबले , भीगे और अंकुरित चने , पत्ता गोभी आदि में नींबू का रस डाल कर सलाद बना कर दें | चीज या इसकी स्ट्रीप्स भी ऐसा नास्ता है जो भूख भगा देता है और प्रोटीन का बेहतरीन स्त्रोत है |
- दोपहर के भोजन में ताज़ा मौसमी फल चुनें इससे ऐंटीआक्सीडेंट , तत्व मिलते है \रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है भरपूर रेशे कब्ज भगाते हैं | भोजन हल्का ही करें |
- शाम को मैदे से बना समान व चिप्स आदि न दें | मूँगफली , बादाम, काजू ,मुनक्का , अंजीर , पोपकोर्न आदि दें | पिनट मटर , चीज खीरा लगाकर छोटे सेंडविच बनाकर , ओट को दूध के साथ पका कर दें |
- रात के डिनर में सब्जियों का सूप बिना क्रीम डाले दें | हरी सब्जियाँ रेशे वाली तथा बिना घी लगाए रोटी दें |
- रात को हल्दी मिला दूध सबसे अच्छा होता है इससे दिन की थकान कम होती है तथा नींद ठीक से आती है | केल्शियम मिलता है जो हड्डियों को मजबूत करता है |
- प्याज खूब खाये , अंगूर और बेंगन भी खाएं |
- कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पिये इससे डिहाइड्रेशन का खतरा टल जाता है |
यदि सभी बुजुर्ग जो 60 वर्ष पार कर चुके है , उपरयुक्त के अनुसार दिनचर्या बनाएँगे तो निश्चित रूप से स्वस्थ रहेंगे |