मेरे मस्तिस्क मे बहुत दिनो से बेचैनी सी हो रही थी,
कि आखिर हम आज के युग मे इस नश्वर संसार मे क्या करने आए है ? ऊपर वाले की दया से हमे ईंसान का जन्म जरूर मिला है । लेकिन क्या हम इंसानियत की कसौटी पर खरा उतर रहे है ? क्या हम अपना धर्म ईमानदारी से निभा रहे है ? हमारे जीने का उद्देश्य क्या है ?
सिर्फ यही कि हम आपस मे एक- दूसरे की टांग खींचते रहे । अपना उल्लू सीधा करने के लिए एक -दूसरे के साथ लड़ते- झगड़ते रहे । और समाज मे दिखावा करे कि मै सही हूँ और सामने वाला गलत हो ।
जबकि सभी अच्छी तरह से जानत े है कि हम खाली हाथ आए थे और एक दिन सब कुछ यहीं छोड़ कर (कर्मो के अलावा) हर हाल मे खाली हाथ ही जाना है । कुछ भी तो साथ मे लेकर नही जा सकते, तो फिर ये तेरी-मेरी किस लिए ?
तो क्या हम इस समाज मे केवल दिखावे के लिए जी रहे है । अपने कर्मो को सुधारने के लिए नही ।
भव से पार पाने के लिए नही । ताकि हम परम- परमात्मा की शरण मे हमेशा के लिए चले जाऐं।
तो फिर हमारे इंसान होने का क्या फायदा ?
आज के युग मे लोग बहुत ज्यादा दुःखी है । कोई बीमारी से , कोई काम-धन्धे से , कोई पड़ोसी से , कोई माँ-बाप, भाई , बहन से या पति-पत्नि का आपसी झगड़ा और झगड़े मे भी तगड़ा रगड़ा ।
ये सब क्यूं हो रहा है ?
क्या हमने कभी सोचा है कि ऐसी समस्याएँ हमारे जीवन मे क्यों आ रही है ?
इतना सोचने -समझने के लिऐ किसी के पास समय ही नही है ।
इसका एक ही मुख्य कारण है: अपनापन का ना होना। यदि हमारे अन्दर अपना-पन होगा तो दोनो पक्ष मे इतनी कडवाहट नही बढेगी। क्योकी फिर वो सोचते है कि हम इतना झगड़ा क्यूं कर रहे है और किसलिए कर रहे है , वो तो मेरे अपने है । अपनो से किस बात का झगड़ा । इतना सोचते ही बात खत्म ।
फिर बात आगे नही बढेगी ।
यानि आज के समाज को, घर को और देश को गन्दा करने वाला सबसे बड़ा जहर है : स्वार्थ भावना । यदि हम अपने स्वार्थ पर कन्ट्रोल करना सीख जाएं तो हमारे समाज , घर और देश की कम से कम 80% समस्याएँ समाप्त हो जाएगी ।
बस जरूरत है थोड़ा सा समय निकाल कर सोचने की ? यदि हम सकारात्मक सोच रखेंगे तो निश्चित ही बहुत सारी समस्यों से हमे छुटकारा मिल सकता है और स्वस्थ और टैंशन फ्री जिंदगी जी सकते है। जिससे हमारा, हमारे समाज और देश का भविष्य बहुत ही उज्ज्वल हो सकता है |