स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था –
” प्रत्येक राष्ट्र का एक जीवन प्रयोजन होता है , और जब समय व आवश्यकता होती है तो राष्ट्र का जन्म होता है . और जब उस प्रयोजन की आवश्यकता समाप्त होती है तो उस राष्ट्र का विलय हो जाता है . विश्व को धर्म व एकता की शिक्षा देने का कर्तव्य भारत देश ( हिन्दुओं ) का है , और विश्व के रहने तक हिन्दू समाज व भारत का अस्तित्व बना रहेगा .”
– डॉ. मोहन जी भागवत, सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( शिकागो – द्वितीय वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस, 2018)
