Home कोट्स Motivational Quotes ‘स्वभिमान’ बेच कर ‘अरमान’ पूरे करना नाइंसाफ़ी है ,’स्वस्थ जीवन’ की ‘धरा’ खिसक जाएगी |

‘स्वभिमान’ बेच कर ‘अरमान’ पूरे करना नाइंसाफ़ी है ,’स्वस्थ जीवन’ की ‘धरा’ खिसक जाएगी |

2 second read
0
0
384

[1] 

जरा सो चो
मन  में  ‘ईश्वर’  की  ‘निकटता’ से , बिन  मांगे  ‘ सब  मिल ‘  जाएगा  !
‘बिना  मांगे’  जब  ‘गुलाब’- ‘खुशबू’ , ‘सूरज’-‘गर्मी’  प्रदान  करता  है,

[2]

जरा सोचो
‘ यादों ‘  के  बीते  ‘ मधुर  पल ‘  ‘ निगाहों ‘  में  नाच  रहे  हैं,
काश ! वह  दिन  पुनः ‘लौट’ आते,’एकाकीपन’  खत्म  होता !

[3]

जरा सोचो
‘स्त्री’  चाहे  ‘आगे’  चले  या  ‘पीछे’,  ‘सम्मान’  करती  है ,’अहंकारी’  नहीं  होती,
‘ कंधे  से  कंधा ‘  मिलाकर  जब  चली ,  ‘ साथ ‘  निभाने  से  भी  नहीं  चूकी !

[4]

जरा सोचो
‘ मानव ‘- ‘ शांति ‘  पाने  हेतु  जीवन  भर  ‘ अशांत ‘  क्यों  रहता  है  ?
अपनी ‘इच्छाओं’ को ‘विश्राम’ देकर ,’प्रकृति  के  सानिध्य’ में  क्यों  नहीं  आते ?

[5]

जरा सोचो
‘मोहब्बत’  में  कोई  ‘जान’  भी  मांगे  तो  ‘तैयार’  रहते  हैं  लोग,
‘ कोई ‘  किसी  का  ‘ गरूर ‘  ही  मांग  बैठे ,  क्या  करें  उनका  ?

[6]

जरा सोचो
‘पत्नी’  मायके  से  रोज  ‘पति’  को  ‘फोन’  करती  है,
पीछे  से ‘बहक’ मत  जाना, ‘टाइगर’ अभी ‘जिंदा’  है !

[7]

जरा सोचो
हमारे  जीवन  में  ‘ बहारें  ही  बहारें ‘  थी  कभी ,
अब  पतझड़  से  गुजरना  बखूबी  सीख  गए  हैं,
गिले – शिकवों  से  भरा  जीवन  जी  रहे  थे  हम,
आंसू पीकर  अब खुद  को  बदलना  सीख  गये  हैं !
[8]
 जरा सोचो
‘ स्वाभिमान ‘  बेच  कर ‘ अरमान ‘  पूरे  करना  ‘ नाइंसाफी ‘  है,
‘स्वस्थ  जीवन’  की ‘धरा’ ‘खिसक’  जाएगी, बहुत  ‘पछताओगे’ !
[9]
जरा सोचो
‘गल्ती’  हमारी  है  या  तुम्हारी, ‘रिश्तों’  का  क्या  ‘कसूर’  है  इसमें ?
‘सुधार  की  गुंजाइश’  होनी  चाहिए , बस  इतनी  सी  ‘ख्वाहिश’  है !
[10]
जरा सोचो
एक  दूसरे  के  लिए  बनो , ‘दोनों’  एक  जैसे  ‘स्वभाव’  के  नहीं,
जीवन  में ‘धूम  धड़ाका’  हमें ‘स्फूर्ति-दायक’  बनाए  रखता  है !
Load More Related Articles
Load More By Tarachand Kansal
Load More In Motivational Quotes

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…