Home कोट्स Love Quotes ‘स्नेह’ से ज्यादा ‘गहरा’ कुछ नहीं -‘जितने डूबे’ ‘और गहरा’ होता चला गया |

‘स्नेह’ से ज्यादा ‘गहरा’ कुछ नहीं -‘जितने डूबे’ ‘और गहरा’ होता चला गया |

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जरा सोचो
‘बेवफाई’ की ‘बेइंतिहायी’ अब ‘बर्दाश्त’ नहीं होती,’सब्र की सीमाएं’ लांघ गए हैं हम,
‘मोहब्बत’  का  सिलसिला  ‘ खत्म ‘  नहीं  होता , उनका  ‘ इंतजार ‘  है  अब  तक !

[2]

जरा सोचो
‘स्नेह’  से  ज्यादा  ‘गहरा’  कुछ  और  नजर  नहीं  आता,
जितना  उसमें  ‘ डूबे ‘  और  ‘ गहरा ‘  होता  चला  गया !

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जरा सोचो
‘मोहब्बत ‘ की  ‘गरमा-गहमी’  भला  कभी  ‘छोड़ी’  भी  जाती  है ?
प्यार  से  कुछ  भी  परोसो , हम  सब  कुछ  ‘ हजम ‘  कर  जायेगें !

[4]

जरा सोचो
‘ अधीर ‘  होकर  दूसरों  के  ‘ अधीन ‘  होना  शोभा  नहीं  देता ,
‘भगवान  पर  भरोसा’ और ‘स्वयं’ की ‘जागृत  प्रवृत्ति’  ही काम  आती  है !

[5]

जरा सोचो
अन्जाने  में ‘अपनों  के  तीरों’  का  ‘दर्द’  झेलते  चले  गए,
जब  बताया  कि  ‘वो  तीर’ ‘अपनों’  के  थे,  ‘हम’  बेहोश  थे !

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जरा सोचो
‘ तनाव ‘  उतना  ही  पालिये  ‘ जिंदगी ‘  जीना  हराम  ना  हो  पाए ,
‘जीवन’- ‘जोखिम’  में  डालकर  जिए, तो  क्या  ‘जिए’ ,  बतलाइए ?

[7]

जरा सोचो
नारी  ‘नरक’  नहीं ,  ‘स्वर्ग’  है,  ‘माया’ नहीं  ‘शक्ति’  है,
कल्पना  की  परी ‘  नहीं ,’  कर्मठता ‘  की ‘ देवी ‘  है,,
‘शीतलता’ का  साम्राज्य  है,’अनुशासित’ व्यक्तित्व  है,
भौतिक  युग  में ‘नारी’ का ‘सशक्त’ होना बेहद  जरूरी  है |
[7]
जरा सोचो
‘संस्कारों’  के  प्रति  समर्पित  होते  ‘लोग’  कभी  ‘भीड़’  में  नहीं  फंसते,
‘ सबके  भले ‘  में  दुनियां  का  भला ,  चलो  ‘ भला ‘  ही  बना  जाए !
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जरा सोचो
अपने  ‘ कुकर्मों ‘  का  डर  है ,  तभी  ‘ गंगा’   नहाते  हो,
भूल  गए  ‘गंगा’  सिर्फ  ‘शरीर’ धोती  है, ‘ विचार’  नहीं !
[9]
जरा सोचो
‘ दिल  पर  चोट’  लगते  ही  हमारी  ‘समझदारी’ जग  गई,
‘ पैर  पर  कांटा’  चुभते  ही  संभल  कर  ‘चलना’ आ  गया,
‘विश्वासी  से  धोखा’  मिलते  ही  ‘दुनियादारी’ भी  आ गई,
अब  ‘ शांत ‘  रह  कर  ‘ जीने  का  मजा ‘  ले  रहे  हैं  हम  !
[10]
जरा सोचो
‘ अपेक्षाओं ‘  से  ‘ जिंदा ‘ ‘ अपेक्षाओं ‘  से  ‘ घायल ‘,
‘अपेक्षाओं’ की ‘उपेक्षा’ हर  घड़ी ‘अच्छी’ नहीं  होती !
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