[1]
‘स्नेह की डोर’ बड़ी मजबूत होती है,’उम्र नहीं देखती कभी,
‘अरे जालिम ! तू भी प्यार में बंध जा, ‘आनंद में आ जाएगा’ !
[2]
‘उपासना का अर्थ पूजा, आरती, या नैवैद्य चढ़ाना नहीं है,
‘इसका अर्थ,’अंतर्मन से प्रभु के निकट बैठने का निग्रह है’ !
[3]
‘प्रभु का सिमरन करते रहे तो, ‘सही राह मिल जाएगी तुमको,
‘ भटकाव से बच जाओगे’ सुसंगती मिल जाएगी,कल्याण ही होगा , !
[4]
‘औकात से ज्यादा मिलते ही लोग आंखें बदल लेते हैं ,
‘प्रभु बस इतना दीजिए जिससे समाज का भला भी होता रहे’ !
[5]
‘अपनी जुबान की ताकत, ‘अपनी मां को मत दिखा देना,
‘तुम्हें इतना बड़ा करने में अब तक,’उसने बड़े दर्द झेले हैं’ !
[6]
‘कर्तव्य ‘ हमें झिझोड कर , आलस्य को भगा देता है ,
‘अकर्मण्यता की जंजीर तोड़ कर लक्ष्य की ओर मोड़ देता है’ !
[7]
‘अगर आप ‘ अंधविश्वास ‘और ‘ भाग्य ‘ के सहारे जीते हो,
‘सिर्फ एक तिनका हो, ‘पानी जहां ले जाएगा ,बह जाओगे’ !
[8]
‘आत्म विश्वासी’ चाहे हताश हो जाए, परास्त नहीं हो सकता,
‘शंका को त्यागो, ‘विजय श्री निश्चित आपका वरण कर लेगी’ !
[9]
‘आनंद और हंसने की शक्ति” ‘कभी विषादों में घिरने नहीं देती,
‘मनहूसियत , उदासीनता के सोपान ‘ उखाड़ने में ही भलाई है ‘ !
[10]
‘कमजोर शरीर भी कठिन से कठिन काम कर लेगा,
‘बस मन को जंग न लगने दो ,’प्रफुल्लित बने रहो’ !