एक मंथन जो स्त्रियों की वास्तविकता प्रदर्शित करता है :-
[ खुद से स्नेह का अवलोकन कीजिये }
(1) वे सदा बचत में विश्वास करती हैं !
(2) एक तरफ बचत तो दूसरे तरफ महंगे से महंगे लिबास खरीदती हैं !
(3) महंगे लिवास खरीद कर भी पहनने को कुछ नहीं होता !
(4) फिर भी खुद को खूबसूरती से सजा भी लेती हैं !
(5) खुद खूबसूरत ऊपर से निवास खूबसूरत , फिर भी संतुष्ट नहीं रहती !
(6) संतुष्ट होते हुए भी उम्मीद करती हैं कोई उनकी बडाई या प्रशंसा करे !
(7) कोई प्रशंसा कर दे , तो भी विश्वास नहीं करती कि वह आदमी कभी प्रशंसा कर सकता है !
अपने में मस्त रहना भी सदा उत्तम विधा होती है परंतु वह संतुष्ट होती ही नहीं !
फिर भी इस विधा का आनंद पूरा है |
सभी स्त्रियों की सोच को सादर नमन ! सभी स्वस्थ रहें , खुश रहें और
पूरे समाज को अपने आनंद से गर्वित बनाते रहें !