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सुविचार !

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प्रार्थी  की  प्रार्थना   तभी   स्वीकार   होती   है   जब   सच्चे   मन  और   शुद्ध  ह्रदय   से   सच्ची   मांग   प्रस्तुत   की   जाए  | वास्तव  में  देखें  तो  हम   सभी  ‘ईश्वर  के  बहाने ‘  अपने  आप  से  प्रार्थना   करते  हैं  कि   हम   अपने   ‘ज्ञान  का  उपयोग’  ‘लाभ-दायक  इच्छाओं  की  पूर्ति  हेतु  करने   की ‘  ‘ताकत   बनी   रहे ‘ |”      

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