[1]
‘जब तक इंसान अपना / पराया , ऊंचा / नीचा ,मजहब की दीवारें खींचेगा’ ,
‘ संकीर्णता और तंग -दिली’ से ‘ बच नहीं सकता ‘,’ जाग्रति नहीं आएगी ‘ ,
‘ बैर’ , ‘ईर्ष्या ‘, ‘नफरत की दीवार ‘ , ‘ इंसानियत पर जुल्म ढाती जाएगी ‘ ,
‘ सबका हो कल्याण-‘सब का भला करे भगवान’ की ‘विधा का स्रजन करो’ |
[2]
‘ मैं सुख की नींद सो लिया ‘, ‘अब प्रातः की लाली है ‘,
‘आज किसी का अहित ना हो मुझसे ,ऐसी कृपा कर दो प्रभु ‘ |
[3]
‘किसी ने कान में जहर क्या भरा’ , वो सैकड़ों रिस्तों को खा गया ,’
‘ अगर वो अकेला जहर पी लेता , तो केवल एक ही मरता ‘ |
[4]
‘सभी गल्तियाँ करते हैं , कहाँ तक गिनाओगे बता ‘,
‘वो’ सब कुछ देख रहा है ‘, ‘सबका हिसाब कर देगा ‘ |
[5]
गीता के अनुसार :-
‘ शरीर मर जाता है , ‘ आत्मा कभी नहीं मरती ‘,
हाय कलियुग ! ‘ शरीर जीवित है और आत्माएँ मरी हुई ‘|
[6]
‘हर विचार’ ‘जल की भांति पारदर्शी है’ ,’ जैसा मिलाओगे वैसा ही बन जाएगा ‘,
‘विचारों में सुगंध मिलाओगे ‘तो ‘गंगाजल’,’ गंदगी मिलाओगे ‘ तो ‘नाला’ कहाएगा’ |
[7]
‘दुआ करनी है तो जरूरतमंदों के लिए कर ”हो सकता है’
‘ तेरी दुआ , ‘ किसी के लिए रामबाण बन जाए ‘|
[8]
‘मेरी विचार ‘:- ‘अहसास करो ‘-
‘न तुम किसी के हो और न कोई तुम्हारा है ‘,
‘ बस तुम प्रभु के हो ‘ ‘ और प्रभु तुम्हारा है ” |