[1]
‘हर घर में ‘रायसिंह’ और ‘ज्ञानसिंह’ मिल जाएंगे’ ,
‘ मंगतेराम’ भी अपनी चादर बिछाए मिलते हैं ‘
‘सुखदेवी’ व ‘शांतिदेवी’ ‘अब ढूँढे भी नहीं मिलती’ ,
ऐखुदा,’कलियुग का अंत कहाँ होगा ,कुछ तो बता’ ?
[2]
‘गलतफहमी मत पालो ‘,’आसपास के वातावरण को खँगालो ‘,
‘घर को स्वर्ग बनाने से पीछे मत हटो’ ,’हीरा तलाश करो ‘|
[3]
‘उपवास’ स्वम की शुद्धि का संस्कार मात्र है’ ,’प्रभू को खुश करने का मन्त्र नहीं’,
‘आधी दुनियाँ आज भी भूखी सोती है’,’बेहद दुखी है ,शांति दूर तक नहीं मिलती ‘|
[4]
‘जब ज़िम्मेदारी निभाने को तैयार हो’ ‘तकलीफ’उठाने को भी तैयार रहो’,
‘या तो सीख जाओगे या जीत जाओगे” पलड़ा तुम्हारा ही भारी रहेगा’|
[5]
‘गांठ का पैसा’ और ‘खुद की अकल’,’सबका बेड़ा पार करती है ‘,
‘एक चवन्नी जेब में न हो तो ‘,’ दो कदम बढ़ाना भी भारी है ‘|