Home ज़रा सोचो ‘सुंदर सोच के प्रहरी बनों ! जीने का आनंद ही बढ़ जाएगा ‘|

‘सुंदर सोच के प्रहरी बनों ! जीने का आनंद ही बढ़ जाएगा ‘|

2 second read
0
0
788

[1]

‘जब  दौलत  से  भी ‘खुशी’ खरीद  नहीं  पाओ ,मेरे  पास  चले आना,
‘ मैं   हर  घड़ी  खुशियाँ  बांटता  हूँ ‘ , ‘ मुझे  रोना  नहीं  आता ‘|

[2]

‘कुछ  करते-करते  मैं  स्वम  अपना  जीवन  बदल  सकता  हूँ ‘,
‘भला  मेरे  लिए  अपना  जीवन  क्यों   बदलेगा   कोई ‘ ?

[3]

‘पहले  गल्ती  स्वीकारना  सीखो’ ,
‘सुधारने  की  नीयत  बनाओ’,
‘न  जाने  क्या-क्या  सीख  जाओगे’ ,
‘यह  अन्दाज  नहीं  तुमको ‘|

[4]

‘मौन’  रह  कर  अन्तर्मन  में
‘प्रभु’  का  ध्यान  आ  जाएगा ‘,
‘फोन’  से  चिपके  रहे  तो
‘दुनियादारी’ में  फंसा  रह  जाएगा’|

[5]

‘किसी  के  ह्रदय  को  छु  लेना’,
‘सर्वोत्तम  विधा  मान  कर  चलो’,
‘कैसे  दिलों  में  समाया  जाए’,
‘मानव  हो  कर  भी  नहीं  समझे ‘|

[6]

‘अध्यापक  सिखाता  है  फिर  परीक्षा  लेकर  फेल/ पास  करता  है’,
‘वक्त’ पहले  परीक्षा  लेता  है  फिर बताता  है ,अच्छा/बुरा  क्या  है ‘?

[7]

‘जब  आँसू  आपका  टपके , ‘ दर्द  से  दूसरा  कराहने  लगे ‘,
‘समझो ‘स्नेह’-‘सोने का सिक्का  है’ ,’कभी  खो मत देना उसे ‘|

[8]

‘ईमानदारी  की  कमाई’ में  बरकत  है’,
‘सुख  की  नींद  सोते  हैं ‘,
‘बेईमानी  की  कमाई  बचाने  में’ ,
‘नींद  हराम  रहती   है  सबकी ‘|

[9]

‘भरे  पेट  वालों  को  भी  ‘ जिंदगी ‘  से
शिकायत  है ‘,
‘जो  झटके  खा  कर  जिंदगी  जीते  हैं’,
‘खुश  नहीं  रहते  कभी ‘|

[10]

‘आपने  बच्चों  के  लिए  क्या  किया  है,
‘इसका  वजूद  नहीं ‘,
‘वजूद  इस  बात  का  है  कि  आपने,
‘बच्चों  को  सिखाया  क्या  है’?

Load More Related Articles
Load More By Tarachand Kansal
Load More In ज़रा सोचो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…