[1]
‘मंजिल’ आगे रख कर ‘कदम’ उठाओगे, तो जिंदगी बदल सकती है,
‘तकदीर’ पर ‘इल्जाम’ जडते रहे, ‘ तो ‘नर्क’ बन जाएगा ‘जीवन’ !
[2]
‘नींद, शांति ,पानी, हवा , प्रकाश, सांसे, आनंद, सब कुछ फ्री मिलते है,
‘सांसारिक विधाओं में संलग्न है , ‘ इंसान से बड़ा पाखंडी नहीं कोई’ !
[3]
‘अगर ‘ भरोसा ‘ है तो ‘ रिश्ते ‘ स्वयं जुड़ते जाएंगे,
‘बेभरोसे’ जिया नहीं जाता, ‘बिखर’ जाता है सबकुछ’ !
[4]
‘उनका सम्मान करो जो ,
‘अपना ‘बहुमूल्य समय’ आपको देते हैं,
‘उनका सम्मान’ क्या करना जो ,
‘जरूरत पर’ काम ना आ पाया’ !
[5]
‘अपनापन और स्नेह’ सबके जीवन को ‘खुशनुमा’ बनाते हैं,
‘खोखलापन खतम ”हम खुद की ‘अहमियत’ भी जान जाते हैं’ !
[6]
‘जिसका ‘पूरा घर’ ‘रिणी’ हो, उसका नाम ‘ग्रहणी’ है,
‘हर- घर’ घर होता है, परंतु वहां ‘ग्रहणी’ नहीं मिलती’ !
[7]
‘हम आंखों की ‘हया’ त्याग बैठे ,’प्यार’ दिल से ‘हवा’ हो गया,
‘ चेहरे पर ‘स्याही’ पुती थी, ‘ कपड़ों को ‘झाड़ते’ चले गए’ !
[8]
‘ स्नेह का यकीन’ दिलाने में,एक ‘उम्र’ खर्च हो जाती है’ !
‘किसी का दिल’ जीत कर दिखाओ, ‘तो जानेंगे तुम्हें’ !