‘हम दुनियाँ को भुला देंगे आपके खातिर ‘,
‘भुला देने की कशिश है , दीदार में तेरे प्रभु ‘ |
[2]
‘दोस्तों में रिस्ते मत ढूंढो ‘,’ रिस्तों में दोस्त ढूंढो ‘, ‘ जिंदगी बन जाएगी ‘,
‘बूढ़े बाप से प्यार से मिलो,’ ‘हमसफर दोस्त की खुशबू मिल जाएगी उसमें “|
[3]
‘गलत होते हुए भी समर्पण करना’,’पूरी ईमानदारी कहाती है’ ,
‘ शक के घेरे में हो फिर समर्पण ‘, ‘ तुम्हारी समझदारी होगी ‘ ,
‘लेकिन आप सही हैं फिर भी समर्पण’,’रिस्ते बचाने की कवायद है’ ,
‘ क्या सोच कर समर्पण किया तूने ? ‘ कुछ तो बता जाओ ‘
[4]
‘ दूसरे को उन्नत देख द्वेष भावना कलूषित होती जा रही है ‘,
‘अब दियासलाई की जरूरत खतम ,जब आदमी आदमी से जलता है “|
[5]
‘कोई भी सच्चा इंसान प्रसंशा का मोहताज नहीं होता ‘,
‘ईमानदारी से बताओ क्या फूल को इत्र की जरूरत है ‘ |
[6]
‘ जितनी वफा करते हैं ‘ , मोहब्बत उतनी खफा क्यों है ‘ ?
‘शायद कंजर्फ बहुत मिलते हैं वफा का अहसास होने नहीं देते ‘|
[7]
‘ पहले कुछ कमाओ ‘ ‘ फिर कुछ बचाओ ‘ ,’ बाकी में घर का खर्चा चलाओ दोस्तों’ ,
‘अगर कमाई अठन्नी और खर्च रुपया कर लिया’ ‘तो लेने के देने पड जाएंगे तुझको ‘|
[8]
‘कोई अपने कंधे पर सिर नहीं रखता’ ,’ न खुद के गले लग सकता है’ ,
‘आओ ‘ !’ उन अपनों को तलाशे जो’ ,’ दोनों काम करने में माहिर हों ‘ |
[9]
कोई अल्फ़ाज़ नहीं समझता तो’ ‘कोई जज़्बात तो कोई ‘हालात’ से बेखबर होते हैं’ ,
‘कोई तो एक पन्ना नहीं पढ़ पाता’ ,’ कोई पूरी किताब का मज़मून समझ लेते हैं “|
[10]
‘आलीशान महल तो बना लोगे’ ‘किसी के दिल में जगह बना कर दिखा’ ,
‘अनेकों आयामों से गुजरना होगा ‘,’ जगह बने या न बने’ ,’ गारंटी नहीं’ |