[1]
‘मैं थक – हार गया हूँ’ ‘कैसे कहूँ अपने मुंह से ‘,
‘न जाने किसी की आस हूँ’ ,’किसी का विश्वास हूँ ‘|
[2]
‘सत्य’ को चाहे जितना प्रताड़ित करो’ ,
‘हो ही जाएगा’,
‘पराजित करने का प्रयास करोगे तो’,
‘खुद हार जाओगे ‘|
[3]
‘मित्र’
‘तुम हमसे जुड़ गए कोई पूर्व जन्म का प्रताप है ‘,
‘इस भीड़ भरी दुनियाँ में कौन किसको जानता है ‘?
[4]
‘सभी इंसान बहुत अच्छे होते हैं ‘,
‘यह अनुमान है मेरा ‘,
‘बाकी बुरे वक्त में जान जाएंगे’ ,
‘कौन अपना है ‘?
[5]
‘दुःख पहले भी थे आज भी हैं ‘,
‘यह सौगात सबके पास है ‘,
‘अब सहनशीलता कहीं नहीं मिलती’,
‘बेडोल जीवन है सबका ‘|
[6]
‘जख्म भी मेरे ”नमक भी मेरा ‘
‘लगाने वाले भी तुम्हीं निकले ‘,
‘बेवफाई की बेमिसाल कहानी बन कर’ ,
‘सताते रहे सदा ‘|
[7]
‘शमा’ जलती है या जलाती है’,
‘आजतक समझ नहीं पाया ‘,
‘शायद मौके की नज़ाकत देख’,
‘वो’ अपना रंग बदलती है ‘|
[8]
‘किसी की आँख का आंसूँ ‘,
‘कई बार दिल भेद देता है ‘,
‘दिल का दर्द बेजूबा बन कर’ ,
‘मन में उतर जाता है ‘|
[9]
”प्रभु का प्रसाद’ और ‘बुजुर्गों का आशीष’,
‘झुक कर ही मिलता है ‘,
‘झुकना’ सम्मान खोना नहीं’ ,
‘पाने का सुंदर प्रारूप है ‘|
[10]
‘सभी डे मनाते हैं पर किसी को ‘इंसानियत डे’ मनाते नहीं देखा’,
‘यह डे भी मना लेते तो ‘इंसानियत’ की परिभाषा समझ जाते ‘|