[1]
‘तू’ सदा ‘मैं ‘ में रहता है ,’ हम ‘ बन जीना नहीं चाहता ‘,
जब ‘मैं’ और ‘तू’ ‘हम’ में जीने लगंगे ,’सब रास्ते खुल जाएंगे ‘ |
[2]
इज्जत करने की कला सिर्फ इज्जतदार ही जानता है ,
वो क्या इज्जत करेगा जिसने अनादर करना ही सीखा हो |
[3]
मित्रता हो यो कोई रिस्ता ‘, ‘सभी आदर-सम्मान के भूखे हैं ‘,
‘जहां उनका सम्मान नहीं होता ‘ ,’ वहाँ वो ठहरते ही नहीं ‘|
[4]
‘अपनी दुनियाँ को नर्क बना या स्वर्ग ‘,’ तेरी सोच का कमाल है ‘,
‘सब कुछ इसी दुनियाँ में हाजिर है ‘ ‘दिल के पट खोल कर देख ‘|
[5]
‘जिंदगी हर घड़ी मुस्करा कर बिताई ‘ ,’ तो अच्छी कट जाएगी ‘,
‘प्रभु ने सब कुछ दिया है फिर भी हम रोएँ ‘,’तो कोई क्या करे ‘?
[6]
” आओ आपस में दिलों को बदल डालें “,
“दिलों में अहसास कितना है””जान जाएंगे” ,
“अब मैं -मैं न रहूँ ”और तुम- तुम न रहो” ,
“धीरे-धीरे एकाकार हो जीना सीख जाएंगे” |
[7]
‘पुरानी यादें याद आती है , वक्त कभी नहीं आता ‘,
‘क्यों ना हर लम्हा मस्त हो कर जी लिया जाए ‘|