Home ज्ञान “समभाव को साथी बना,’ ‘निराकार के पाले में सरकता चल ” |

“समभाव को साथी बना,’ ‘निराकार के पाले में सरकता चल ” |

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“खाना   डेढ़  पाव  आटा” ,” चार  गज़  कपड़ा “, “तीन   हाथ  ज़मीन  चाहिए  तुझे”  ,

“इतनी  भागदौड़” ,” हाय-हाय क्यों”,’खाली  हाथ जाना’,’चिता  पर अकेला जलना’,

“विकारों   की  चासनी  में   लिपटे   रहना “,  “किस   संस्कार  की   श्रेणी   में   है ” ?

‘ सम भाव  ‘ को  “जीवन  साथी  बना “, ‘ निराकार ‘  के  “पाले  में  सरकता  चल ” |

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