Home ज़रा सोचो ‘समझदार को इशारा ही काफी है कुछ समझने के लिए ‘ | जरूर सोचें |

‘समझदार को इशारा ही काफी है कुछ समझने के लिए ‘ | जरूर सोचें |

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[1]

‘मुस्कुराने  के  मौसम’ ‘ईजाद  नहीं  होते,’ईजाद  किए  जाते  हैं,
‘हर  हाल  में  जब  तुम  मुस्कुराओगे, वह  वहीं  पर  रुक  जाएगा’ !

[2]

‘मान  अपमान  में  नहीं , ‘ प्रभु  के  ध्यान  में , आंसू  टपकने  चाहिए,
‘स्वस्थ  तन  मिला  अहोभाग, ‘कृतज्ञता  का  भाव  ही  पूजा  समझ’ !

[3]

‘हम  सारे  जगत  में  भटक  सकते  हैं, दत्तचित  हो  दो  मिनट  बैठते  नहीं,
‘हमारे  पाप , दुष्प्रवृतियां , हमें  शुभ  जगह  पर  टिकने  नहीं  देती ‘ !

[4]

‘संसार  उतार – चढ़ाव  का  झूला  है ,’ हिचकोले  खाना  सुनिश्चित  है ,
‘अपेक्षा  जागेंगी, अशांति  बढ़ेगी,’दुखों  से  दो-चार  होने  को  तैयार  रहें’ !

[5]

‘किसी  की  प्रशंसा  सुनने  हेतु  ,’ प्रेम  भरा  बड़ा  दिल  चाहिए,
‘जरा  सी  तुनकबाजी  भी, ‘मन  की  संकीर्णता  की  परिचायक  है’ !

[6]

‘ प्रभु ! ‘न  मैं  हूं  न  कुछ  मेरा  है , ‘ केवल  तू  है  सब  कुछ  तेरा  है,
‘मेरी  तो  सादगी, नम्रता, और समर्पण भाव  से, ‘जीने  की  तमन्ना  है’ !

[7]

मेरी सोच
‘अनिश्चितता   का   दौर   है ,   फूल   को   तोड़ने   पर   भी   पता   नहीं   चलता   कि   वह   मंदिर   में   जाएगा   या   किसी   की   कब्र   पर   ! इसलिए   कहते   हैं   आज   में   ही   जियो  ,   कल   किसने   देखा   है ‘  ?

[8]

‘ हौसले’  पस्त  होते  ही  बिखरने  में  देर  नहीं  लगती,
‘संघर्ष  में  रहा  प्राणी  एक  दिन  निखरता  जरूर  है ‘ !

[9]

‘अडियळ  प्राणी ‘ अहम  का  शिकार  मिलता  है ,
‘समझौते करने की विधा, ‘हमें जीवित बनाए रखती है’ !

[10]

‘अपनी  आंखों  में  जब  ‘पीड़ित  की  पीड़ा’  पढ़ने  लग  जाओगे,
‘तुम  मानव  नहीं, ‘इंसानियत  की  सही  पहचान  बन  जाओगे’ ।

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