[1]
‘चाहे मैं हूं या तुम,
‘कल’ में सिमट जाएंगे सारे,
‘सिर्फ ‘यादें’ रहेंगी,
‘ उन्हींको ‘यादगार’ बनाते चलो’ !
[2]
‘रात’ अंतिम पड़ाव पर है, ‘आंखे’ इंतजार में पथरा गई,
‘दिल पर इतने ‘फफूलों की फितरत’ अच्छी नहीं होती’ !
[3]
‘ कितना भी भुलाओ हमें , आसान नहीं होगा,
‘हम वह ‘बाजीगर’ हैं, ‘भूलने का मौका’ नहीं देंगे’ !
[4]
‘तुम ऐसा क्या कर गए ? ‘खयालों’ से निकलते ही नहीं,
‘तेरे बगैर’ जीते तो हैं परंतु, ‘जीने में मजा’ नहीं आता’ !
[5]
‘दबंग दुनिया’ में मेरे ‘अपने’ बहुत हैं, ‘ वहम है मुझको,
‘ खुदा ने इतनी ‘मुसीबत” दे दी, ‘सारे ‘अपने’ चलते बने’ !
[6]
‘जो ‘मुकाबला’ करने को कहता है,
‘वही आपको ‘ बदल ‘ सकता है ,
‘ जो सदा ‘ मिमियाता ‘ रहा,
‘क्या खाक आएगा आपके आगे ?
[7]
‘ कोई ‘ मोहब्बत ‘ करे तो सही , ‘ इंसानियत ‘ का दामन तो पकड़े ,
‘सब ”गुनाह’ माफ कर देंगे, दिल में भी जगह देंगे, ‘ अपना बना लेंगे’ !
[8]
‘ आप ‘ जानते ‘ तो हो परंतु , ‘ समझने ‘ का प्रयास नहीं करते ,
‘जीवन की ‘नोकझोंक’ में जीवन बिता कर,’ खुद को ‘कुंदन’ समझते हो’ !
[9]
‘बुरा काम’ करने से डरते नहीं,
‘शर्मो- लिहाज’ छोड़ रखी है , ‘पुण्य’ भी करता है तो ‘अहंकार’ भर कर,
‘ निकृष्ट प्राणी’ समझ खुद को’ !
[10]
‘देश की हालात’ सब कुछ समझते हैं,
‘महसूस करते हैं,
‘कुछ कह नहीं पाते,
‘ घुटन ही घुटन’ है चारों तरफ’ !