Home ज़रा सोचो “सफलता या असफलता” “हमारी सोच का परिणाम है ‘ अनेक पहलू हैं ” ध्यान दीजिये |

“सफलता या असफलता” “हमारी सोच का परिणाम है ‘ अनेक पहलू हैं ” ध्यान दीजिये |

0 second read
0
0
764

[1]

‘सफलता  के  समुद्र’  से  मिलना  चाहो  तो,’ बाधाओं  से  टकराना  सीखो,
‘मनोभाव  ऐसे  बनें, ‘कठिनाइयों’ को  ही ‘सफलता  का  सोपान’  समझें ‘ !

[2]

‘यारब !  हमें  वही  मिलता  है  जो ,’ हमने  अपनी  हांडी  में  पकाया  है,
‘जब हांडी में ‘दलिया’ पकाया है, ‘हलवा’ बाहर कैसे आएगा ? ‘तू यह बता’?

[3]

‘अपनी  रुचि  अनुसार’ किसी  को  जीवन  जीने  के  लिए, ‘मजबूर  मत  कीजिए,
‘उसे ‘उसकी  मौलिकता’  से ‘खिलने’ ‘विकसित  होने’  का अवसर  मिलना  चाहिए’

[4]

‘चुनौतियों  से  बिना  डरे, ‘रचनात्मक  हल’  ढूंढना  सर्वश्रेष्ठ  विधा  है,
‘नजरिया बदल कर, मस्तिष्क का प्रयोग, ‘हमें ‘मंजिल’ से मिलवा देगा’ ।

[5]

‘अनीति , अधर्म  और  अन्याय , का  आप  ‘विरोध’  नहीं  करते,
‘आप  पूर्णतया ‘अधर्मी’  हैं ,’इंसानियत’ जैसी  कोई  चीज  नहीं’ !

[6]

‘शरीर  से  जितना  ‘काम’  लोगे, उतना  ही ‘ स्वस्थ  और  चुस्त ‘  रहोगे,
‘शरीर को कितना ‘आराम’ दोगे, उतना ही ‘निकम्मा और बीमार’ होता जाएगा’ !

[7]

‘इंसान’  होकर ‘इंसानियत  से  नफरत’, ‘काफिर’  कहें  तुमको,
‘इंसानी प्यार का तोहफा’ तुझे मंजूर नहीं, ‘क्यों और किसलिए’?
‘दुनियां के किसी कोने में रहो, ‘शांति’ मयस्सर हो नहीं सकती,
‘ओढुं,बिछाऊं,या सवारुं, क्या करूं तेरा, तू ही बता देता तो अच्छा था’।
[8]
‘सदा व्यस्त रहो, मस्त रहो,इसके लिए ‘उम्र की सीमा’ नहीं होती,
‘सिर्फ मौका मिलते ही उसे, भुनाने का प्रयास, ‘सार्थक प्रयास’ है’ !
[9]
‘ खुद से लड़ो , ‘भीतर  की  विसंगतियों  से  निजात  पाओ,
‘आत्मविश्वास’  छळकेगा, ‘सफल  जीवन’ जी  जाओगे’ !
[10]
‘तुमने  अपनी  ‘जिद  की  गांठ’ बांध  रखी  है,
‘रिश्तॊ  सुळझने  ही  नहीं  देती,
‘स्नेह  की  धारा’ से  जुड़  जाती  तो,
‘घर  में ‘प्यार  का  समंदर ‘ लहरें  मारता  रहता ‘ !
Load More Related Articles
Load More By Tarachand Kansal
Load More In ज़रा सोचो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…