[1]
‘जो जुल्मों से लड़ा नहीं ,
‘वही हारा ‘,
‘जिसने हिम्मत दिखाई ,
‘मुकद्दर का सिकंदर बना ‘|
[2]
‘मौत से ‘पहले का दिन’ ‘ भक्ति करने का दिन ‘ घोषित कराओ , ‘
‘मौत का कोई वक्त नहीं ,’हर दिन आखिरी दिन समझ भक्ति करो’|
[3]
‘अपने तो अपने होते हैं ‘,
‘जब भी यह अहसास जागेगा’,
‘तू पारस का हो जाएगा’ ,
‘समाज का नज़ीर भी तू होगा ‘|
[4]
‘सभी अपने हैं फिर भी’ ‘ अपने आसानी से नहीं मिलते ‘,
‘इंसान की सोच में बड़ा भेद है ,’शक के दायरे में हैं सभी ‘|
[5]
‘निंदा ,चुगली और कडवे वचन बोलने में जिव्हा घिसा दी ‘,
‘सत्संग की विधा पर चल पड़ता तो जहरीला नहीं बनता ‘|
[6]
‘तो गलत काम करके मंदिर में जन्नत के दरवाजों को मांगता है ‘,
‘वे’ सही काम करके भी आसानी से नहीं खुलते , होश में आ जा ‘|
[7]
‘अंतर्मुखी होने की कवायद’ आपकी सफलता में चार चाँद लगा देगी’,
‘मुंह लटकाए रखना शोभा नहीं देता’,’मिलजुल कर रहना सीखिये’|
[8]
‘जो डरते हैं ,घबराते हैं, अपनी असफलता की पटकथा स्वम लिखते हैं ‘,
‘ कौन किसकी परवाह करता है ?’ अपने स्वभाव को बदल डालो ‘|
[9]
‘मेलजोल से कतराने से आप अपनी खोल में ही सिमट जाओगे’,
‘झिझक की झंझोड़िए , स्वभाव से मुठभेड़ आपको बदल देगी’
[10]
‘जब अपने साथ ‘अपने ‘ खड़े हो जाते हैं ‘,
‘रगिस्तान भी हरियाली में बदल जाते हैं ‘|